शेयर बाजार नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इक्विटी फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट के लिए नए नियमों की अधिसूचना जारी की है. इन नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य बाजार की स्थिरता बनाए रखना और बाजार सहभागियों को अधिक स्पष्टता और लचीलापन देना है.
इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस में पोजिशन लिमिट बढ़ाई गई
अब इंडेक्स ऑप्शंस के लिए नेट एंड ऑफ डे फ्यूचर्स एंड इक्विटी ओपन इंटरेस्ट (OI) की सीमा ₹1,500 करोड़ तय की गई है. वहीं, ग्रॉस फ्यूचर्स एंड इक्विटी OI की सीमा ₹10,000 करोड़ रखी गई है. इसका मतलब है कि न तो ग्रॉस लॉन्ग OI और न ही ग्रॉस शॉर्ट OI ₹10,000 करोड़ से ज्यादा हो सकता है.
इंडेक्स फ्यूचर्स में कैटेगरी आधारित लिमिट
FPI कैटेगरी-I, म्यूचुअल फंड्स और ब्रोकर्स (प्रोपराइटरी/क्लाइंट) के लिए लिमिट फ्यूचर्स OI के 15% या ₹500 करोड़ (जो भी अधिक हो) होगी.
FPI कैटेगरी-II (जो व्यक्तिगत निवेशक, परिवार कार्यालय या कॉरपोरेट नहीं हैं) के लिए यह सीमा फ्यूचर्स OI के 10% या ₹500 करोड़ (जो भी अधिक हो) होगी.
ब्रोकर्स की कुल सीमा (प्रोपराइटरी और क्लाइंट मिलाकर) अधिकतम 15% OI या ₹7,500 करोड़ (जो भी अधिक हो) तय की गई है.
मार्केट वाइड पोजिशन लिमिट (MWPL) का नया तरीका
अब MWPL को कैश वॉल्यूम और फ्री फ्लोट से जोड़ा जाएगा. इसका उद्देश्य है कि बाजार में वास्तविक तरलता के आधार पर ही ट्रेडिंग की सीमाएं तय हों.
इंट्राडे निगरानी की व्यवस्था
अब सिंगल स्टॉक पर MWPL की इंट्राडे निगरानी की जाएगी ताकि दिनभर के दौरान किसी भी संभावित अनियमितता को तुरंत रोका जा सके.
क्यों किए गए ये बदलाव?
सेबी ने कहा है कि इन नए नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बड़े इंडेक्स पोजिशन के कारण बाजार में अस्थिरता या किसी तरह की छेड़छाड़ न हो. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि बाजार प्रतिभागियों को पर्याप्त अवसर मिले ताकि वे रणनीतिक रूप से अपनी स्थिति बना सकें.