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India Daily

अब कर्मचारी घर ले जा सकेंगे ज्यादा पैसा, नए लेबर कोड के तहत बदल गए सैलरी स्ट्रक्चर, ग्रेच्युटी और पीएफ के नियम

नए लेबर कोड 21 नवंबर 2025 से लागू होंगे, जिनसे कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर, ग्रेच्युटी और पीएफ में बड़े बदलाव आएंगे. ‘वेज’ यानी भत्तों की नई परिभाषा के आधार पर अब सभी लाभों की गणना समान नियमों से होगी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
new labour codes
Courtesy: social media

भारत में लेबर कानूनों की सबसे बड़ी बदलाव प्रक्रिया 2025 से लागू होने जा रही है. नए लेबर कोड न केवल कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी को प्रभावित करेंगे बल्कि कंपनियों की लागत और ग्रेच्युटी देनदारियों पर भी सीधा असर डालेंगे. पहले ‘भत्ते’ और ‘सैलरी’ की अलग-अलग व्याख्याओं ने कई असमानताएं पैदा की थीं, जिन्हें अब एकसमान नियम से बदला जा रहा है. इससे कर्मचारियों के लिए लाभों की गणना स्पष्ट होगी, जबकि नियोक्ताओं के लिए यह बदलाव खर्च बढ़ा सकता है.

नए लेबर कोड क्या बदलने जा रहे हैं

21 नवंबर 2025 से प्रभावी नए लेबर कोड कर्मचारियों की पूरी सैलरी स्ट्रक्चर को प्रभावित करेंगे. अब ‘भत्तों’ की परिभाषा एक समान होगी और इसी आधार पर ग्रेच्युटी, पीएफ और अन्य लाभ तय होंगे. इससे पहले अलग-अलग नियमों के कारण भ्रम और विवाद की स्थिति बनती रहती थी.

नए लेवर कोड के मुताबिक, अब क्या होंगे भत्ते

कोड ऑन वेजेज, 2019 की धारा 2(Y) के अनुसार भत्तों में बेसिक पे, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग अलाउंस शामिल रहेंगे. हाउस रेंट, बोनस, ओवरटाइम, ट्रैवल अलाउंस और नियोक्ता के पीएफ योगदान जैसे कई भत्ते इसमें शामिल नहीं माने जाएंगे. गैर-नकद लाभ को अधिकतम 15% तक भत्ते का हिस्सा माना जा सकता है.

क्यों बदलेगी ग्रेच्युटी की रकम

नई परिभाषा के तहत यदि भत्ते से बाहर रखे गए भत्ते कुल वेतन के 50% से अधिक हैं, तो अतिरिक्त राशि को भत्ते में जोड़ दिया जाएगा. इससे कर्मचारियों की ग्रेच्युटी का आधार बढ़ेगा और अंतिम भुगतान पहले की तुलना में बड़ा हो जाएगा. इससे कंपनियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ेगा.

कर्मचारियों के लाभ पर व्यापक असर

अब ग्रेच्युटी, पीएफ और ओवरऑल सैलरी कैलकुलेशन में एकसमान नियम लागू होंगे. कर्मचारी लंबे समय में अधिक ग्रेच्युटी प्राप्त कर सकते हैं, जबकि टेक-होम वेतन में कमी संभव है. नियोक्ताओं के लिए यह बदलाव अनुपालन और लागत दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण है.

क्या कह रहे एक्सपर्ट्स

EY इंडिया के विशेषज्ञों का मानना है कि नई परिभाषा से स्पष्टता बढ़ेगी, लेकिन कंपनियों की लागत में इजाफा होगा. टैक्स सलाहकार बताते हैं कि 50% नियम और 15% गैर-नकद लाभ प्रावधान इस परिवर्तन की सबसे महत्वपूर्ण कुंजी हैं, जिनसे सभी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी में बदलाव तय होगा.