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India Daily

भारत पर मंडराया संकट, रूस पर नए प्रतिबंधों के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने तेल आयात को लेकर किया बड़ा ऐलान

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने घोषणा की है कि वह रूस से कच्चे तेल के आयात और यूरोप में रिफाइंड उत्पादों के निर्यात पर यूरोपीय संघ (EU) के नए प्रतिबंधों का पालन करेगी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
mukesh ambani
Courtesy: x

बिजनेस न्यूज: भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में उथल-पुथल के बीच एक अहम कदम उठाया है. यूरोपीय संघ (EU), अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात और रिफाइंड उत्पादों के निर्यात पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद, RIL ने इन नियमों का पालन करने का फैसला किया है.

यह कदम न केवल कंपनी की वैश्विक छवि को मजबूत करता है, बल्कि भारत की ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देने की उसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है. इस बदलते परिदृश्य में, रिलायंस का यह रुख नई चुनौतियों और अवसरों की ओर इशारा करता है.

 भारत की ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता

रिलायंस ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी. कंपनी ने कहा कि वह अपनी रिफाइनरी प्रक्रियाओं को इस तरह से समायोजित करेगी कि घरेलू और निर्यात बाजारों में आपूर्ति बाधित न हो. रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी, जो दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरियों में से एक है, पहले से ही विविध स्रोतों से कच्चा तेल प्राप्त करती है.

 यह रणनीति कंपनी को वैश्विक प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने में मदद करेगी. रिलायंस ने यह भी कहा कि वह भारत सरकार के किसी भी भविष्य के दिशानिर्देश का पालन करेगी, जिससे देश की ऊर्जा नीति के साथ उसका तालमेल बना रहे.

 वैश्विक प्रतिबंधों का नया दौर

यूरोपीय संघ ने हाल ही में रूस के खिलाफ अपने 19वें प्रतिबंध पैकेज को मंजूरी दी है, जिसमें बैंकों, क्रिप्टो एक्सचेंजों और भारत व चीन जैसे देशों की संस्थाओं को निशाना बनाया गया है. इसका उद्देश्य यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए रूस की वित्तीय मदद को रोकना है.

अमेरिका ने भी रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल, पर नए प्रतिबंध लगाए हैं. ईयू की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने कहा कि ये उपाय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए युद्ध को वित्तपोषित करना और मुश्किल करेंगे.

इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने घोषणा की कि ईयू 2027 तक यूक्रेन को वित्तीय सहायता देना जारी रखेगा.

 रिलायंस की रणनीतिक अनुकूलता

रिलायंस ने अपनी आपूर्ति श्रृंखला को और मजबूत करने के लिए पहले से ही कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. कंपनी अपनी आपूर्ति अनुबंधों को बदलते बाजार और नियामक परिस्थितियों के अनुसार अपडेट कर रही है.

रिलायंस का कहना है कि उसकी विविधतापूर्ण कच्चे तेल की सोर्सिंग रणनीति उसे वैश्विक उथल-पुथल के बीच स्थिरता बनाए रखने में सक्षम बनाएगी.

कंपनी ने यह भी विश्वास जताया कि वह नए नियमों का पालन करते हुए अपनी रिफाइनरी की दक्षता और उत्पादन क्षमता को बनाए रखेगी. यह रणनीति रिलायंस को वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर देती है.

भारत को ढूंढना होगा रूस का विकल्प

रूस से तेल आयात पर प्रतिबंधों का असर केवल रिलायंस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक ऊर्जा बाजार को भी प्रभावित करेगा. भारत, जो रूस से सस्ते कच्चे तेल का एक प्रमुख खरीदार रहा है, को अब नए स्रोतों की तलाश करनी पड़ सकती है.

रिलायंस की इस स्थिति में सक्रिय भूमिका भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगी. साथ ही, यह कदम कंपनी की वैश्विक विश्वसनीयता को और मजबूत करेगा, क्योंकि यह न केवल प्रतिबंधों का पालन कर रही है, बल्कि भारत की ऊर्जा जरूरतों को भी प्राथमिकता दे रही है.