पूर्व योजना आयोग उपाध्यक्ष मॉन्टेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि भारत को चीन के साथ व्यापार के लिए सावधानीपूर्वक तैयार की गई नीति अपनानी चाहिए, जो आर्थिक अवसरों और रणनीतिक जोखिमों को संतुलित करे. उन्होंने चेतावनी दी, “भारत सक्रिय फार्मास्यूटिकल सामग्री (API) की आपूर्ति के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर हो गया है.” अहलूवालिया ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में कहा कि इसका समाधान आयात को पूरी तरह रोकना नहीं, बल्कि घरेलू क्षमता बढ़ाना और वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति विविधीकरण करना है.
तीन प्रमुख चिंताएं
रणनीतिक निर्भरता और समाधान
दूसरी चिंता API और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों पर चीन की निर्भरता है. अहलूवालिया ने कहा, “हम खुद को विश्व की फार्मेसी कहते हैं, लेकिन API के लिए हम चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं.” उन्होंने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) और अन्य देशों के साथ साझेदारी के जरिए विविधीकरण की वकालत की. तीसरी चिंता साइबर खतरों से संबंधित है. उन्होंने कहा, “अविश्वसनीय उत्पादों का उपयोग...साइबर हमले का जोखिम पैदा करता है, जो गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है.” इसके लिए उन्होंने घरेलू आपूर्ति या विश्वसनीय स्रोतों पर निर्भरता की सलाह दी.
संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत
अहलूवालिया ने सौर सेल आयात का उदाहरण देते हुए अंधाधुंध प्रतिबंधों के खिलाफ चेतावनी दी. उन्होंने कहा, “सौर सेल चिप्स की तरह नहीं हैं, जिन्हें बाहरी हस्तक्षेप से प्रभावित किया जा सके. चीन ने सौर चिप्स की मांग से दोगुनी क्षमता बनाई है, जिससे कीमतें वैश्विक स्तर पर गिर गई हैं. इनका आयात हमें सौर ऊर्जा क्षमता तेजी से बढ़ाने और लागत कम करने में मदद करेगा.” उन्होंने निष्कर्ष में कहा, “क्या हमें इसका लाभ उठाना चाहिए या उच्च लागत पर घरेलू उत्पादन पर जोर देना चाहिए? हमें एक सावधानीपूर्वक नीति बनानी होगी जो चीन के साथ व्यापार के लाभ उठाए, बिना हमें दबाव में कमजोर बनाए.”