इस साल दिवाली के आसपास वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों से बीमा पॉलिसियों पर कर समाप्त हो सकता है या कम से कम इसे 5 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. जिससे बीमा अधिक किफायती हो जाएगा, लाखों लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा में सुधार होगा और भारत में बीमा की पहुंच में तेजी आएगी. एक्सपर्ट लंबे समय से स्वास्थ्य और यूलिप बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत ब्याज दर की आलोचना करते रहे हैं.
एक सूत्र ने बताया कि बीमा पर जीएसटी में लंबे समय से प्रतीक्षित कटौती पर सरकार सक्रियता से विचार कर रही है, हालांकि इससे लगभग 17,000 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व नुकसान होने की उम्मीद है. हालांकि, बीमा कंपनियों के बीच यह चिंता है कि यदि जीएसटी पूरी तरह समाप्त कर दिया गया तो वे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा खो देंगे, जिससे बीमा कंपनियों की परिचालन लागत बढ़ जाएगी.
टर्म और यूलिप बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत कर की आलोचना करते रहे हैं, खासकर स्वास्थ्य और टर्म जीवन बीमा के लिए क्योंकि यह भारत में व्यापक बीमा अपनाने में बाधक है. अगर सरकार इस कर को खत्म कर दे या इसे घटाकर 5 प्रतिशत कर दे, तो इस कदम के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं न केवल ग्राहकों और बीमा कंपनियों के लिए बल्कि भारत में जन स्वास्थ्य और वित्तीय समावेशन के लिए भी.
सरकार GST के स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव करेगी
शुरुआत में अनुमान लगाया जा रहा है कि ये बदलाव जीवन बीमा के क्षेत्र में होंगे, सामान्य बीमा के क्षेत्र में नहीं. इस धारणा के आधार पर खुदरा उपभोक्ताओं के लिए मुझे लगता है कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है. जब आप किसी सेवा के लिए उपभोक्ता पर 18 प्रतिशत तक का बोझ कम करते हैं या हटाते हैं.दरअसल, सरकार GST के स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव लाने की योजना बना रही है. नए सिस्टम में मुख्य रूप से दो टैक्स स्लैब होंगे- 5% और 18%.
शराब और तंबाकू पर बढ़ेगा टैक्स
खाने-पीने का सामान, दवाइयां, मेडिकल उपकरण, स्टेशनरी, किताबें, टूथब्रश, हेयर ऑयल जैसे रोजमर्रा के सामान या तो टैक्स-फ्री रहेंगे या उन पर 5% GST लगेगा. टीवी, एसी, फ्रिज जैसे मिडिल-क्लास प्रोडक्ट्स पर 18% टैक्स लग सकता है. शराब और तंबाकू जैसे कुछ चुनिंदा सामानों पर 40% सिन टैक्स लगेगा.