Q2 GDP Data: भारत की आर्थिक वृद्धि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सात तिमाहियों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत रही, जो पिछले तिमाही के मुकाबले गिरावट का संकेत है. इन आंकड़ों ने भारत की विकास दर को लेकर एक नई चुनौती को दर्शाया है, खासकर जब मोदी सरकार से अर्थव्यवस्था को सुधारने और बढ़ावा देने की उम्मीदें बढ़ रही थीं.
जीडीपी में गिरावट, पिछले तिमाही से भी कम
इससे पहले, विभिन्न विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया था कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत के आसपास रह सकती है, लेकिन वास्तविक आंकड़ा इससे काफी कम रहा. इस गिरावट को देखते हुए अब देश के आर्थिक भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं.
कृषि क्षेत्र में शानदार वृद्धि
हालांकि, कृषि क्षेत्र ने इस तिमाही में 3.5 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्ज की, लेकिन अन्य क्षेत्रों में मंदी देखने को मिली. कृषि क्षेत्र के आंकड़े अच्छे हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि वित्त वर्ष 2025 में 4 प्रतिशत को पार कर सकती है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 1.4 प्रतिशत थी. लेकिन, सेवा, उद्योग और निर्माण क्षेत्रों में विकास की गति धीमी रही, जो समग्र जीडीपी वृद्धि को प्रभावित कर रही है.
क्या बोले एक्सपर्ट
भारत की जीडीपी वृद्धि में आई इस गिरावट ने विशेषज्ञों को चौंका दिया है, क्योंकि अधिकांश अनुमान 6.5 प्रतिशत के आसपास थे. कुछ अनुमानों के अनुसार, भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2025 में 6.8 प्रतिशत के आसपास बढ़ने की संभावना है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 7.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है, लेकिन मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा दिए गए 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच ही है.
इस गिरावट के बाद मोदी सरकार के लिए आगामी महीनों में आर्थिक सुधार और वृद्धि को बढ़ावा देना एक बड़ी चुनौती बन गई है. सरकार को न केवल कृषि क्षेत्र में वृद्धि को बनाए रखने की आवश्यकता है, बल्कि औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में भी सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे.
सरकार के लिए बढ़ी चुनौती
यह आंकड़ा मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती को जन्म देता है, क्योंकि सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के कई उपायों पर ध्यान केंद्रित किया था. हालांकि, इस गिरावट से स्पष्ट हो गया है कि सरकार को अब अधिक सक्रिय रूप से नीति बदलाव और संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता होगी, ताकि भारत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखा जा सके और वित्तीय वर्ष 2025 के अंत तक अपेक्षित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके. इस समय, भारत के आर्थिक दृष्टिकोण पर अनिश्चितता बढ़ी है, और यह देखना होगा कि सरकार इस स्थिति से कैसे उबरती है और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाती है.