EPFO Basic Salary Hike: केंद्र सरकार, ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर इम्प्लॉयज की सोशल सिक्योरिटी और मजबूत करने के लिए एम्प्लॉय प्राविडेंट फंड (EPF) के तहत न्यूनतम सैलरी लिमिट बढ़ाने की योजना बना रही है. वर्तमान में, कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 26,000 रुपये किया जा सकता है. इसके अलावा, सरकार का यह भी विचार है कि ईपीएफओ से जुड़ने के लिए किसी कंपनी में न्यूनतम कर्मचारियों की संख्या 20 से घटाकर 10-15 की जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियां इस योजना के तहत आ सकें और कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी का लाभ मिल सके.
कब हुआ था आखिरी बदलाव: ईपीएफओ में न्यूनतम सैलरी लिमिट का आखिरी संशोधन 2014 में हुआ था, जब इसे 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया था. पिछले 10 वर्षों में इस सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है, और अब श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने लंबित मामलों की समीक्षा करते हुए इस सीमा को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है.
सैलरी लिमिट में वृद्धि होने पर कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को ईपीएफ और ईपीएस में ज्यादा योगदान देना होगा. वर्तमान में, कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 12% उनके ईपीएफ अकाउंट में जाता है. इसमें से 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना में और 3.67% हिस्सा ईपीएफ अकाउंट में होता है. सैलरी लिमिट बढ़ने से इस योगदान में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा और उनके पास ज्यादा पैसे जमा होंगे.
कर्मचारी यूनियनों ने लंबे समय से इस सैलरी लिमिट को बढ़ाने की मांग की थी. उनका कहना है कि इससे कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी में सुधार होगा और उनके भविष्य के लिए ज्यादा बचत होगी. इस कदम से कर्मचारियों को उनके पेंशन और भविष्य के लिए बेहतर लाभ मिलेंगे.
केंद्र सरकार द्वारा EPFO की सैलरी लिमिट बढ़ाने की योजना से कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी में सुधार होने की उम्मीद है. इसके अलावा, ज्यादा कंपनियां इस योजना के तहत आ सकेंगी, जिससे ज्यादा कर्मचारियों को लाभ होगा. यह कदम न सिर्फ कर्मचारियों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि उनके आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाएगा.