नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने साल 2025 के आखिरी दिन टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी है. सरकार ने कंपनी के एजीआर यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू से जुड़े बकाये पर राहत पैकेज को मंजूरी दे दी है. यह फैसला वोडाफोन आइडिया के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि कंपनी पिछले कई वर्षों से भारी कर्ज और पैसों की कमी से जूझ रही है.
हालांकि, राहत की खबर आने के बावजूद कंपनी के शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली. वोडाफोन आइडिया के शेयरों में दिन के दौरान करीब 18 प्रतिशत तक की गिरावट आई और अंत में यह लगभग 12 प्रतिशत नीचे बंद हुए. जानकारों का मानना है कि नए साल की शुरुआत यानी 1 जनवरी को शेयरों में सुधार देखने को मिल सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने 31 दिसंबर को एजीआर से जुड़े राहत पैकेज को मंजूरी दी. इस फैसले के तहत वोडाफोन आइडिया को अपने एजीआर बकाये के भुगतान में पांच साल की राहत दी गई है. यानी कंपनी को फिलहाल इस बकाये का भुगतान नहीं करना होगा. इसके अलावा सरकार ने कंपनी के मौजूदा कर्ज को भी कुछ समय के लिए फ्रीज करने का फैसला किया है. इससे कंपनी को अपनी आर्थिक स्थिति संभालने का मौका मिलेगा.
इस समय वोडाफोन आइडिया पर करीब 87,695 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है. मार्च 2025 से कंपनी को हर साल लगभग 18,000 करोड़ रुपये चुकाने थे. कंपनी पहले ही कई बार यह साफ कर चुकी है कि अगर उसे सरकार या निवेशकों से फंडिंग का सहारा नहीं मिला, तो उसका बिजनेस चलाना मुश्किल हो जाएगा. कंपनी की कमजोर वित्तीय हालत को देखते हुए बैंक भी उसे कर्ज देने से बच रहे हैं.
वोडाफोन आइडिया के पास फिलहाल करीब 18,000 कर्मचारी हैं और इसके ग्राहकों की संख्या लगभग 19.8 करोड़ है. कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह अनुमति दी थी कि वह कंपनी के सभी बकायों का दोबारा आकलन और मिलान करें, जिसमें ब्याज और जुर्माना भी शामिल है. यह फैसला भी कंपनी के लिए राहत की तरह देखा गया था.
सितंबर महीने में वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार विभाग द्वारा लगाए गए 9,450 करोड़ रुपये के एजीआर डिमांड पर ब्याज और पेनल्टी माफ करने की मांग की थी. इससे पहले मार्च 2025 में सरकार ने कंपनी के 36,950 करोड़ रुपये के बकाये को इक्विटी में बदल दिया था.
इसके बाद सरकार वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन गई और उसकी हिस्सेदारी करीब 49 प्रतिशत हो गई. सरकार के इस ताजा फैसले से वोडाफोन आइडिया को कुछ समय की राहत जरूर मिली है, लेकिन कंपनी की लंबी अवधि की स्थिरता के लिए आगे भी बड़े निवेश और मजबूत कारोबारी रणनीति की जरूरत होगी.