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India Daily

वैश्विक उथल-पुथल के बीच दुनियाभर में बढ़ी हथियारों की खरीद-फरोख्त, भारत क्यों बना चर्चा का केंद्र?

भारत अब केवल आयातक नहीं, बल्कि निर्यातक और सह-विकासक के रूप में उभर रहा है. भारत के रक्षा निर्यात में 12% की वृद्धि हुई, जो 2.76 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Amid global turmoil arms trading increased across the world why did India become the center of discu

वैश्विक स्तर पर रक्षा सौदों की होड़ ने 2025 को एक ऐतिहासिक वर्ष बना दिया है. इस बीच, भारत ने न केवल अपनी रक्षा नीति को मजबूत किया, बल्कि एक उभरते हुए हथियार निर्यातक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है.

रिकॉर्ड तोड़ सौदों का दौर

मई 2025 में अमेरिका और सऊदी अरब के बीच 142 अरब डॉलर का रक्षा सौदा हुआ, जो अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा सौदा है. इसमें लड़ाकू विमान, ड्रोन और संभवतः एफ-35 शामिल हैं. पोलैंड ने पैट्रियट मिसाइल सिस्टम के लिए 2 अरब डॉलर का समझौता किया, जबकि यूके ने 12 एफ-35ए जेट्स के साथ नाटो की परमाणु हवाई रक्षा में वापसी की. यूरोपीय संघ ने 150 अरब यूरो का संयुक्त हथियार खरीद कोष शुरू किया, और फ्रांस ने स्वीडन से दो ग्लोबलआई निगरानी विमान खरीदे. स्विट्जरलैंड ने अपने एफ-35 सौदे में 1.5 अरब स्विस फ्रैंक की बढ़ोतरी के बाद पुन: बातचीत की मांग की.

एशिया में रणनीतिक बदलाव

एशिया में देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की अनिश्चितताओं के मद्देनजर रक्षा रणनीति मजबूत कर रहे हैं. जापान, यूके और इटली ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) शुरू किया. भारत ने फिलीपींस को अप्रैल में दूसरी ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी भेजी और वियतनाम के साथ 700 मिलियन डॉलर के सौदे पर बातचीत कर रहा है. इंडोनेशिया भी 450 मिलियन डॉलर के मिसाइल सौदे को अंतिम रूप देने के करीब है.

आयातक से निर्यातक बन रहा भारत

भारत अब केवल आयातक नहीं, बल्कि निर्यातक और सह-विकासक के रूप में उभर रहा है. भारत के रक्षा निर्यात में 12% की वृद्धि हुई, जो 2.76 अरब डॉलर तक पहुंच गया. लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल फैक्ट्री शुरू हुई, जो प्रतिवर्ष 100 मिसाइलें बना सकती है. रिलायंस और जर्मनी की डीहल डिफेंस के बीच 10,000 करोड़ रुपये का गोला-बारूद समझौता हुआ. नौसेना के लिए 63,000 करोड़ रुपये का राफेल-एम सौदा और 156 स्वदेशी प्रचंड हेलीकॉप्टरों के लिए 45,000 करोड़ रुपये का सौदा मंजूर हुआ.

वैश्विक सौदों की सूची

अमेरिका-सऊदी अरब (142 अरब डॉलर): विमान, ड्रोन, रडार और संभवतः एफ-35.

अमेरिका-पोलैंड (2 अरब डॉलर): पैट्रियट मिसाइल सिस्टम.

यूके (1.5 अरब डॉलर+): 12 एफ-35ए जेट्स.

फ्रांस-स्वीडन: दो ग्लोबलआई निगरानी विमान.

यूरोपीय संघ (150 अरब यूरो): संयुक्त रक्षा कोष.

GCAP: यूके, इटली, जापान द्वारा छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान.

भारत की बढ़ती ताकत

भारत ने न केवल ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात बढ़ाया, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी गति दी. रडार, ड्रोन, राइफल और लॉइटरिंग मुनिशन के लिए 13 खरीद सौदों को तेज किया गया. भारत अब वैश्विक रक्षा बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है.