नई दिल्ली: उत्तर भारत समेत कई इलाकों में सर्दियों के दौरान घना कोहरा और पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी आम बात है. ऐसे हालात में सड़क पर वाहन चलाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. दृश्यता घटने से सामने की गाड़ी का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
सर्दियों में ड्राइविंग केवल अनुभव से नहीं, बल्कि सतर्कता और सही तकनीक से सुरक्षित बनती है. मौसम के हिसाब से अपनी ड्राइविंग आदतों में बदलाव करना जरूरी है. छोटी-छोटी सावधानियां न सिर्फ आपकी, बल्कि सड़क पर मौजूद दूसरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती हैं.
घने कोहरे में तेज रफ्तार सबसे बड़ा खतरा बन सकती है. वाहन की गति हमेशा नियंत्रित रखें और आगे चल रहे वाहन से पर्याप्त दूरी बनाए रखें. अचानक ब्रेक लगाने से बचें, क्योंकि पीछे से आने वाली गाड़ी टकरा सकती है. धीमी और स्थिर ड्राइविंग कोहरे में सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है.
कोहरे में हाई बीम लाइट का इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि इससे रोशनी लौटकर आंखों में पड़ती है. हमेशा लो बीम या फॉग लाइट का उपयोग करें. इससे सड़क साफ दिखती है और सामने से आने वाले वाहन चालकों को भी आपकी गाड़ी का अंदाजा रहता है.
बर्फ या पाले वाली सड़कों पर अचानक ब्रेक लगाने से वाहन फिसल सकता है. ब्रेक धीरे और नियंत्रित तरीके से लगाएं. स्टीयरिंग को अचानक मोड़ने से बचें और गाड़ी को सीधे रखने की कोशिश करें. पहाड़ी इलाकों में खास सतर्कता जरूरी होती है.
सर्दियों में टायर की ग्रिप, ब्रेक, वाइपर और बैटरी की जांच बेहद जरूरी है. विंडशील्ड साफ होनी चाहिए ताकि दृश्यता बनी रहे. एंटी-फॉग उपाय अपनाने से शीशों पर धुंध जमने की समस्या कम होती है.
अगर कोहरा बेहद घना हो या सड़क पर ज्यादा बर्फ जमी हो, तो यात्रा टालना ही समझदारी है. जरूरी हो तो दिन के समय यात्रा करें. सुरक्षित जगह पर रुककर मौसम साफ होने का इंतजार करना दुर्घटना से बेहतर विकल्प माना जाता है.