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क्यों खास होते हैं ज्येष्ठ माह के मंगलवार, जानें क्या है इसके पीछे की कथा?

Bada Mangal 2024: ज्येष्ठ माह के मंगलवारों को काफी खास माना जाता है. इस दिन भगवान हनुमान के वृद्ध स्वरूप का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि बड़े मंगल पर भगवान हनुमान के पूजन मात्र से जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं. 

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Edited By: India Daily Live
hanuman
Courtesy: pexels

Bada Mangal 2024: ज्येष्ठ माह की शुरुआत बीते 24 मई को हो चुकी है. इस माह में पड़ने वाले मंगलवार बेहद खास होते हैं. इन मंगलवारों को भगवान हनुमान का पूजन जीवन में सुख और समृद्धि दिलाता है. इसके साथ ही भगवान हनुमान के पूजन से संकट भी दूर हो जाते हैं. बड़े मंगल पर जगह-जगह भंडारा कराया जाता है. 

ज्येष्ठ माह के सारे मंगलवारों को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता हैं. इस दिन जगह-जगह पर भंडारे और वीर हनुमान का पूजन होता है.  साल 2024 में ज्येष्ठ माह का पहला मंगलवार 28 मई को पड़ रहा है. इसके बाद दूसरा मंगलवार 2 जून, तीसरा 11 जून और चौथा मंगलवार 18 जून को पड़ेगा. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ माह के मंगलवार क्यों खास होते हैं.

क्यों खास होते हैं ज्येष्ठ माह के मंगलवार? 

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह के मंगलवारों को काफी खास इस कारण माना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीराम की हनुमान जी से पहली बार भेंट हुई थी. इसी दिन दुनिया के सबसे बड़े भक्त वीर हनुमान को उनके प्रभु श्रीराम प्राप्त हुए थे. पौराणिक कथा के अनुसार जब लंका का राजा रावण माता सीता को हर कर ले गया था तो उनकी खोज में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण वन-वन भटक रहे थे. इस दौरान वे भटकते-भटकते ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंच गए. यहां पर सुग्रीव नाम के एक वानर रहा करते थे.

वे किष्किंधा नरेश वानरराज बाली के भाई थे, पर उनके भाई ने उनको राज्य से भगा दिया था. बाली एक श्राप के कारण ऋष्यमूक पर्वत पर नहीं जा सकते थे. इस कारण सुग्रीव उस पर्वत पर निवास करने लगे थे. ऋष्यमूक पर्वत पर हनुमान जी भी रहते थे. वे सुग्रीव के महामंत्री थे. इस कारण जब सुग्रीव ने दो वनवासियों राम और लक्ष्मण को पर्वत की ओर आते देखा  तो उनको शक हुआ कि कहीं ये दोनों बाली द्वारा भेजे गए कोई गुप्तचर तो नहीं हैं, जो उनको नुकसान पहुंचाने आ रहे हों. इस कारण उन्होंने हनुमान जी को सत्यता का पता लगाने के लिए भेज दिया. 

हनुमान जी ने साधू का वेश धारण किया और भगवान राम और लक्ष्मण के सामने पहुंच गए. उन्होंने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण से कहा कि हे सुंदर मुख और गोर शरीर वाले वीर आप कौन हैं और यूं वन की कठोर भूमि पर अपने कोमल चरणों से क्यों चल रहे हैं. कहीं आप त्रिदेव में से कोई एक तो नहीं हैं या आप ही नर नारायण हैं. 

हनुमान जी के प्रश्नों को सुनकर भगवान श्रीराम ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वे दशरथ पुत्र श्रीराम और उनके साथ में भाई लक्ष्मण हैं. वे अपनी पत्नी सीता की खोज में निकले हैं. भगवान श्रीराम का नाम का सुनते ही भगवान हनुमान ने उनके चरण पकड़ लिए और वे अपने असली वानर स्वरूप में आ गए. इसके बाद श्रीराम ने उनको गले लगा लिया.इसके बाद वे अपने कंधे पर श्रीराम और लक्ष्मण को लेकर सुग्रीव के पास पहुंचे, जहां सुग्रीव से उनकी मित्रता हुई. भगवान श्रीराम ने जब हनुमान मिले तब ज्येष्ठ माह का दिन मंगलवार था. इस कारण उस दिन के बाद से ही ज्येष्ठ माह के सभी मंगवारों को धूमधाम से मनाया जाता है. 

इस कारण कहते हैं बड़ा मंगल

ज्येष्ठ माह के मंगलवारों को बड़ा मंगल कहा जाता है. मान्यता है कि जब भगवान हनुमान ने लंका जलाई थी तब उन्होंने काफी बड़ा स्वरूप धारण किया था. इस दौरान उन्होंने रावण को अपना विस्तार स्वरूप दिखाया था. यह समय भी ज्येष्ठ माह का था और दिन मंगलवार था. इस कारण इन मंगलवारों को बड़ा मंगल कहा जाता है. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.