Vat Savitri Vrat: ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत को सुहागिन स्त्रियां रखती हैं. इस दिन बरगद के पेड़ के पूजन का विधान है. माना जाता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्म, विष्णु और महेश निवास करते हैं. इस दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं.
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यावान को यमराज से वापस ले आई थीं. उन्होंने यमराज को उनके पति के प्राण लौटाने के लिए विवश कर दिया था. इस कारण सुहागिन स्त्रियां पति की दीर्घायु और सकुशलता के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं.
साल 2024 में ज्येष्ठ माह की अमावस्या 5 जून की शाम 6 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी.यह 6 जून की शाम 4 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री व्रत 6 जून गुरुवार को रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इसके बाद लाल रंग की साड़ी पहनकर श्रृंगार कर लें. इसके बाद बरगद के पेड़ के नीचे साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद बरगद में जल अर्पित करें और धूप बत्ती जलाएं. बरगद को फल, फूल अर्पित करें. इसके साथ ही कच्चे सूत को वृक्ष पर लपेटते हुए करीब 7 बार परिक्रमा करें. पेड़ की मौली, रोली, धूप आदि से पूजा करें. पूजन के समय 'अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते, पुत्रान पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणाध्यं नमोस्तुते' मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही सौभाग्य की कामना करें.
वट सावित्री व्रत को रखने से पति को लंबी आयु मिलती है. पति के साथ ही बच्चों का स्वास्थ्य भी इस व्रत को रखने से ठीक रहता है. इस दिन व्रत करने से महिलाओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. धन प्राप्ति के लिए भी यह व्रत काफी महत्वपू्र्ण माना गया है.
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