Shani Katha: शनि जयंती 6 जून को मनाई जाएगी. इस दिन ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि है. शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है. वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. माना जाता है कि शनिदेव की खराब दशा व्यक्ति के द्वारा किए गए गलत कर्मों के कारण आती है. शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त हैं. शनिदेव को न्यायाधीश भी कहा जाता है. वे व्यक्ति को उसके गलत कर्मों के लिए दंड भी देते हैं.
शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य की पत्नी संध्या उनका ताप सहन नहीं कर पा रही थीं. इस कारण वह तपस्या करने जाने वाली थीं. उन्होंने अपनी छाया को प्रकट किया और छाया के पास अपने दोनों बच्चों यम और यमुना को छोड़कर वे तप करने चली गईं. जब सूर्यदेव की पत्नी संध्या की तपस्या समाप्त हुई तो वे वापस आईं. उनको पता चला कि छाया से शनिदेव की प्राप्ति हुई है. इस पर वे काफी क्रोधित हुईं, तब तक सूर्यदेव छाया और शनिदेव का परित्याग कर चुके थे.
छाया अपने पुत्र शनि के साथ जंगल में रहने लगीं. उन दोनों को मारने के सूर्य देव ने जंगल में आग लगा दी. शनि देव की मां छाया होने के कारण उनके ऊपर आग का प्रभाव नहीं पड़ा. वहीं, शनिदेव आग में फंस गए और काफी जल भी गए. उनके साथ वन में रहने वाले एक कौवे ने शनिदेव को आग से निकाला और उनको लेकर अपने घर चला गया.
शनिदेव को कौआ अपने साथ काकलोक में ले आया था. यहां कौवे की मां ने शनिदेव को पुत्र की तरह प्रेम किया. जब तक शनिदेव पूरी तरह से ठीक नहीं हो गए तब तक वे शनिदेव की सेवा करती रहीं. इसके बाद कौवे ने अपनी मां से कहा कि उसे शनिदेव के साथ ही रहना है. इस पर उसकी मां ने शनिदेव से कहा कि आप मेरे पुत्र को अपने साथ रख लें. शनिदेव ने उनकी बात मानते हुए कौवे को अपनी वाहन बना लिया. इसके साथ ही उसे इनाम में वरदान दिया कि वह कभी भी बीमार नहीं पड़ेगा. इस कारण माना जाता है कि कौआ कभी भी बीमार नहीं पड़ता है.
हिंदू धर्म में कौवे को काफी अधिक महत्व दिया गया है. कौवे को पितरों के तारण के लिए सबसे प्रमुख माना गया है. माना जाता है कि कौवे को भोजन कराने से पितर तृप्त होते हैं और उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.
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