नई दिल्ली: इस बार कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोग काफी कन्फ्यूज हो रहे है. कोई 6 सितंबर को जन्माष्टमी मना रहा है तो कोई 7 सितंबर को इसको सेलिब्रेट कर रहा है. हालांकि, जन्माष्टमी के एक हफ्ते पहले से ही इसकी धूम आपको चारों तरफ देखने को मिल जाएगी. इस दिन हर कोई भगवान कृष्ण के जन्म के बाद उनकी पूजा-अर्चना करता है. हर किसी के घर में भगवान कृष्ण के लिए झांकी सजाई जाती है और लड्डू गोपाल का झूला सजाया जाता है. अब आपको आज भगवान की आरती के बारे में बताते हैं. इस आरती को आप अगर इस जन्माष्टमी पढ़ेंगी तो भगवान कृष्ण आपसे काफी खुश होंगे-
श्री कृष्ण जी की आरती (Shri Krishna Ji Ki Aarti)
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥