अमरनाथ यात्रा में क्यों इतना अहम है बुड्ढा अमरनाथ की यात्रा, आखिर क्यों अधूरा माना जाता है दर्शन?
Budha Amarnath Temple: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित किया गया है. इस महीने भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. बुड्ढा अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है. बुड्ढा अमरनाथ मंदिर, जम्मू क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि बुड्ढा अमरनाथ मंदिर से कोई श्रद्धालु यहां से खाली हाथ नहीं जाता है. भोलेनाथ अपने भक्तों को कुछ न कुछ जरूर देते हैं.
Budha Amarnath Yatra: सावन का महीना शिव भगवान का प्रिय माना जाता है. सावन के महीने में भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है. सभी श्रद्धालु इस महीने शिव भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं. इस महीने में केदारनाथ मंदिर और अमरनाथ की यात्रा करना काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. अब बुड्ढा अमरनाथ की यात्रा भी शुरू हो रही है जो जम्मू में कड़ी सुरक्षा के बीच होती है.
बुड्ढा अमरनाथ मंदिर, जम्मू क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. यह पुंछ जिले की मंडी तहसील के राजपुरा गांव में स्थित है. मंदिर के पास से बहने वाली पल्सटा नदी को पवित्र माना जाता है जहां तीर्थ यात्री मंदिर में प्रवेश करने से पहले स्नान करते हैं. नदी के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है और इसका नाम रावण के दादा ऋषि पल्सटा के नाम पर रखा गया है.
क्या है महत्व?
ऐसा माना जाता है कि अमरनाथ यात्रा तब तक अधूरी है जब तक बुड्ढा अमरनाथ का दर्शन न किया जाए. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का ज्ञान दिया था लेकिन इसकी शुरुआत बुड्ढा अमरनाथ मंदिर से हुई थी. कहा जाता है कि कोई श्रद्धालु यहां से खाली हाथ नहीं जाता है. भोलेनाथ अपने भक्तों को कुछ न कुछ जरूर देते हैं. ऐसा माना जाता कि यहां मांगी हुई सभी मन्नत पूरी होती है.
सफेद पत्थर से बनी है शिवलिंग
इस मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप नहीं प्रकट हुई है बल्कि सफेद पत्थर से बनाया गया है. कश्मीर में बुड्ढा अमरनाथ मंदिर अमरनाथ जी के ऐतिहासिक गुफा मंदिर से भी पुराना है. यह प्राचीन मंदिर रक्षा बंधन मेले और छड़ी मुबारक यात्रा के लिए जाना जाता है. इस मेले को देखने पूरे भारत से हर साल हजारों भक्त आते हैं.
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