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Sawan 2025: सावन सोमवार व्रत में लोग अक्सर कर बैठते हैं ये 5 बड़ी गलतियां, जिससे रूठ जाते हैं भोलेनाथ

सावन सोमवार व्रत में सबसे आम गलती गलत भोजन का सेवन है. लोग अनजाने में नमक, अनाज, दालें या प्याज-लहसुन जैसे तामसिक पदार्थ खा लेते हैं, जिससे व्रत का आध्यात्मिक प्रभाव घट जाता है. व्रत में केवल सात्त्विक और शुद्ध भोजन ही ग्रहण करना चाहिए.

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Edited By: Princy Sharma
Sawan Somwar 2025
Courtesy: Social Media

Sawan Somwar 2025: सावन मास की शुरुआत के साथ ही भगवान शिव के भक्तों में विशेष उत्साह देखा जाता है. सावन के सोमवार का व्रत शिवभक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. साल 2025 में पहला सावन सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है, और यह दिन भक्तों के लिए बेहद शुभ और फलदायी माना जा रहा है. इस दिन व्रत, पूजा और उपवास से भगवान शिव की कृपा पाने की मान्यता है. लेकिन अक्सर लोग कुछ सामान्य सी गलतियां कर बैठते हैं जो व्रत का संपूर्ण फल नहीं मिलने देतीं. आइए जानते हैं ऐसी 5 बड़ी गलतियां जो अधिकतर लोग सावन सोमवार व्रत में कर देते हैं – और जिनसे आपको भी बचना चाहिए.

सबसे आम गलती है व्रत के दिन गलत भोजन का सेवन करना. कई बार लोग अनजाने में नमक, अनाज, दालें, या प्रोसेस्ड फूड खा लेते हैं जो व्रत के नियमों के खिलाफ हैं. खासकर प्याज, लहसुन या टेबल सॉल्ट जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन करने से व्रत का आध्यात्मिक प्रभाव कम हो जाता है. 

व्रत का भोजन

व्रत में केवल सात्त्विक, शुद्ध और ताजे भोजन जैसे दूध, फल, साबूदाना, सिंघाड़ा, कुट्टू और नारियल पानी को ही शामिल करें. भोजन पकाने के लिए अलग बर्तन और साफ-सुथरी रसोई का इस्तेमाल करें और हो सके तो मंत्रों का जाप करते हुए भोजन तैयार करें.

व्रत को सिर्फ डाइट या ट्रेंड समझना

आजकल व्रत को कई लोग केवल एक हेल्थ ट्रेंड या सोशल मीडिया फैशन की तरह देखते हैं. केवल खाना छोड़ देने से व्रत सफल नहीं होता, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि भी जरूरी होती है. व्रत के दौरान अगर मन में क्रोध, चिढ़ या तनाव है तो इसका आध्यात्मिक लाभ नहीं मिलता. व्रत का उद्देश्य केवल शरीर को नहीं, बल्कि मन को भी नियंत्रित करना होता है. शिवजी की भक्ति में लीन रहकर, शांत और विनम्र होकर दिन व्यतीत करना ही सच्चा व्रत होता है.

नजरअंदाज करें पूजा विधि

कई लोग पूजा का सही समय नहीं जानते या जल्दीबाजी में पूजा कर लेते हैं. ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पूजा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. उस समय शिवलिंग पर जल, दूध या गंगाजल चढ़ाकर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए. साथ ही, कई बार लोग पूजा को बहुत जटिल बना देते हैं और उसका सार ही खो बैठते हैं. शिव जी को तो एक लोटा जल और सच्ची भावना ही प्रिय है. यदि आपको संपूर्ण पूजा विधि नहीं आती, तो सरलता से जल अर्पित करें, दीप जलाएं और मंत्र जाप करें – यही काफी है.

मानसिक और भावनात्मक तैयारी

 व्रत के लिए केवल शरीर ही नहीं, मन की तैयारी भी जरूरी होती है. अगर आप तनाव, गुस्से या नकारात्मक भावों के साथ व्रत करते हैं, तो उसका असर कम हो जाता है. व्रत से एक दिन पहले ही मानसिक तैयारी शुरू कर दें. भारी भोजन, बहस या टीवी-फोन से दूरी बनाएं. भगवान शिव की कथाएं सुनें, भजन करें या व्रत का उद्देश्य मन में स्पष्ट करें. व्रत के दिन भी मधुर बोलें, सकारात्मक सोचें और शांतिपूर्ण रहें. यही आपके संकल्प को मजबूत करता है.

निरंतरता और समापन की अनदेखी

कई लोग पहले सावन सोमवार को जोश से व्रत रखते हैं, लेकिन बाद के सोमवार को लापरवाही बरतते हैं. इस व्रत की शक्ति निरंतरता में है. हर सोमवार एक नई ऊर्जा जोड़ता है. यदि बीच में व्रत टूट जाए या उत्साह कम हो जाए तो इसका असर संपूर्ण साधना पर पड़ता है. इसलिए पहले से योजना बनाएं, और व्रत के दिन खुद को मानसिक रूप से तैयार रखें. साथ ही, व्रत समाप्ति के समय भगवान को धन्यवाद देना न भूलें. अपनी प्रार्थना करें, अनुभव साझा करें और मन की बात कहें यह आपकी साधना को पूर्णता देता है.