Putrada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में पुत्रदा एकादशी का बहुत महत्व है. यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख मिलता है. यह व्रत साल में दो बार आता है, एक बार पौष महीने में और दूसरा सावन महीने में.
पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के अलावा पापों का नाश करने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है. इसे पारिवारिक सुख-शांति और संतान के उज्ज्वल भविष्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
द्रिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 जनवरी को दोपहर 12:22 बजे से शुरू होगी और 10 जनवरी को सुबह 10:19 बजे समाप्त होगी. इस हिसाब से पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को किया जाएगा. 11 जनवरी को पारण (व्रत खोलने) के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:32 बजे से 8:21 बजे तक रहेगा. चलिए जानते हैं पुत्रदा एकादशी के दिन किस उपाय करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से संतान सुख प्राप्ति के योग बनते हैं. यह जाप घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और दोषों का निवारण करता है.
तुलसी की माला से ‘ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः’ मंत्र का जाप संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है. यह मंत्र संतान प्राप्ति का एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है.
पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है, इसलिए आज के दिन भगवान विष्णु को पीले फूल अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं.
पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखने से मन को शुद्ध किया जा सकता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. व्रत के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें और मन को भगवान की भक्ति में लगाए रखें.
पुत्रदा एकादशी के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और संतान सुख की प्राप्ति के योग बनते हैं. आप अपनी क्षमता के अनुसार किसी जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या धन दान कर सकते हैं.
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से भी संतान सुख मिलता है. इस दिन गाय को चारा खिलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है और संतान सुख मिलता है. साथ ही, शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भी संतान सुख के योग बनते हैं. इन उपायों को करते समय शुद्ध मन से भगवान विष्णु पर विश्वास रखें और नियमित रूप से पूजा करते रहें.
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