जानिए कब नहीं तोड़ने चाहिए बेलपत्र, क्या हैं इसके नियम?

Belpatra Rules: भगवान शिव को बेलपत्र अतिप्रिय है. इस कारण भक्त उनको बेलपत्र अर्पित करते हैं. मान्यता है कि बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव हर मनोकामना को पूरी कर देते हैं. बेलपत्र को लेकर कुछ खास नियम बताए गए हैं, जिनकी अनदेखी करने से विपरीत फल प्राप्त होता है. 

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Belpatra Rules:  अभी सावन का महीना चल रहा है और यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस पूरे महीने में भगवान शिव का पूजन किया जाता है. भगवान शिव को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय है. भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से जीवन की हर मनोकामना पूरी होती है. बेलपत्र चढ़ाने से लेकर तोड़ने तक के नियम बताए गए हैं. अगर कोई इन नियमों की अनदेखी करता है तो उसे पूजन का फल प्राप्त नहीं होता है. 

भगवान शिव को चढ़ाएं जाने वाले बेलपत्र को तोड़ने को लेकर भी कुछ नियम बताए गए हैं. माना जाता है बेलपत्र को तोड़ने से लेकर चढ़ाने तक इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए. आइए जानते हैं कि वे कौन से नियम हैं, जिनका पालन बेलपत्र तोड़ते समय करना चाहिए. 

इन दिनों में नहीं तोड़ने चाहिए बिल्वपत्र

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बेलपत्र को कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या, पूर्णिमा तिथि के दिन कभी नहीं तोड़ना चाहिए. 

  • बिल्वपत्र को संक्रांति और सोमवार के दिन भी नहीं तोड़ना चाहिए. 

  • नियमित रूप से बिल्वपत्र भगवान शिव को अर्पित करते हैं तो इसे इन तिथियों से एक दिन पहले ही बिल्वपत्र तोड़कर रख लेना चाहिए. 

  • बेलपत्र कभी भी टहनी से न तोड़ें. जब भी बिल्वपत्र को तोड़ें तो इस बात का ध्यान रखें कि वृक्ष को कोई भी नुकसान न हो. इस कारण एक-एक बेलपत्र चुनकर तोड़ें. 

  • जब भी आप बेलपत्र तोड़ें तो उसके पहले वृक्ष को प्रणाम अवश्य करें. 

  • धर्म शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र बासी नहीं होता है. अगर बेलपत्र उपलब्ध न हो तो भगवान पर अर्पित पत्र को ही आप धुलकर अर्पित कर सकते हैं. 

  • बेलपत्र को कभी भी दोपहर के बाद नहीं तोड़ना चाहिए. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.