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Karwa Chauth 2025: सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत करवा चौथ आज; जानें पूजन विधि, कथा और चांद को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth 2025: व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर चंद्रदर्शन तक चलता है. महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूजा स्थल को सजाती हैं. करवा माता का चित्र या प्रतिमा स्थापित कर चावल और हल्दी से भूमि पर चित्र बनाकर करवा रखा जाता है.

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Edited By: Reepu Kumari
Karwa Chauth 2025
Courtesy: Pinterest

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का पर्व भारतीय सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना के साथ करती हैं. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत रखा जाता है, जिसे कर्क चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार करवा चौथ 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जा रहा है. दिनभर निर्जला उपवास रखकर महिलाएं रात को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ का यह व्रत जितना कठिन है, उतना ही भावपूर्ण भी माना जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और विधिवत पूजा के बाद व्रत कथा सुनती हैं. करवा चौथ की मान्यता है कि जैसे करवा और सावित्री ने अपने पतियों को मृत्यु के मुंह से वापस लाने में सफलता पाई थी, वैसे ही इस व्रत से पति की आयु और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

करवा चौथ 2025 का शुभ मुहूर्त

इस साल करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से प्रारंभ होकर 10 अक्टूबर को शाम 7:38 बजे तक रहेगी. उपवास और पूजा का शुभ समय सुबह 6:19 बजे से लेकर रात 8:13 बजे तक रहेगा. इसी अवधि में महिलाएं माता करवा, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा कर सकती हैं.

करवा चौथ चंद्रोदय का समय

इस वर्ष करवाचौथ पर चंद्रोदय का समय रात 8:14 बजे बताया जा रहा है. दिल्ली-एनसीआर में चांद का उदय लगभग 8:13 बजे होगा. महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर और छलनी से पति का चेहरा देखकर अपना व्रत पूर्ण करेंगी.

करवा चौथ की पूजन विधि

व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर चंद्रदर्शन तक चलता है. महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूजा स्थल को सजाती हैं. करवा माता का चित्र या प्रतिमा स्थापित कर चावल और हल्दी से भूमि पर चित्र बनाकर करवा रखा जाता है. उसमें दीपक जलाया जाता है और उसमें खील-बताशे, साबुत अनाज, पूड़ियां, खीर व हलवा का भोग चढ़ाया जाता है. सुहाग की सामग्री जैसे बिंदी, चूड़ी, सिंदूर आदि अर्पित की जाती है. पूजा के दौरान व्रत कथा सुनना अनिवार्य है.

करवा चौथ की कथा

कहानी के अनुसार करवा नाम की एक महिला अपने पति को मगरमच्छ से बचाने में सफल हुई. उसने कच्चे धागे से मगरमच्छ को बांध दिया और यमराज से प्रार्थना की. यमराज ने उसकी सत्यनिष्ठा देखकर मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और पति को जीवनदान दिया. इसी तरह सावित्री ने भी अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से वापस पाया. तभी से करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं बल्कि विश्वास और आस्था का प्रतीक है. यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को और अधिक मजबूत बनाता है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ महिलाएं अपने परिवार के सुख और पति के दीर्घायु जीवन की मंगलकामना करती हैं.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.