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उषा अर्घ्य के बाद किन चीजों को खाकर खोलते हैं 36 घंटे का छठ व्रत? जानें पारण के नियम

छठ पूजा 2025 में उषा अर्घ्य के बाद व्रती महिलाएं सात्विक भोजन जैसे ठेकुआ, फल और गुड़ का पानी खाकर व्रत खोलती हैं. प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन वर्जित है.

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Edited By: Reepu Kumari
Rules for breaking the 36-hour Chhath fast after Usha Arghya. India Daily
Courtesy: Pinterest

छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन और पवित्र उपवासों में से एक माना जाता है. इसमें व्रती महिलाएं 36 घंटे तक बिना जल ग्रहण किए उपवास रखती हैं. यह तपस्या उषा अर्घ्य यानी उगते सूर्य को जल अर्पित करने के बाद समाप्त होती है. व्रत पारण का यह क्षण न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि शरीर और मन के संतुलन का भी संदेश देता है. उषा अर्घ्य के बाद व्रती महिलाएं पारंपरिक तरीके से व्रत खोलती हैं. पारण में सात्विक और हल्के भोजन का विशेष महत्व होता है. इस दौरान क्या खाना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए, इसका सही पालन करने से व्रत का फल पूर्ण मिलता है. आइए जानते हैं छठ पारण के नियम और सही आहार विधि.

उषा अर्घ्य के बाद व्रत पारण का सही समय कब होता है?

छठ पूजा 2025 में उषा अर्घ्य 28 अक्टूबर की सुबह दिया जाएगा. सूर्योदय का समय 6:30 से 6:37 बजे तक रहेगा. अर्घ्य के बाद व्रती महिलाएं 11:14 बजे तक पारण कर सकती हैं. इस दौरान व्रत खोलना शुभ माना जाता है.

छठ व्रत पारण में सबसे पहले क्या खाना चाहिए?

अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं सबसे पहले जल, नारियल पानी या गुड़ का मीठा पानी पीती हैं. इसके बाद प्रसाद में मिले फल या मेवा का सेवन कर व्रत खोलती हैं. यह शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करता है.

ठेकुआ का पारण में क्या महत्व है?

ठेकुआ गेहूं के आटे और गुड़ से बना पवित्र प्रसाद है. उषा अर्घ्य के बाद इसे सबसे पहले ग्रहण करना शुभ माना जाता है. यह छठी मैया को समर्पित भोग होता है और इसे व्रत पारण का पहला आहार माना गया है.

पारण के दौरान किन खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है?

व्रत खोलने के बाद सात्विक और हल्का भोजन ही करना चाहिए. खिचड़ी, दलिया, फल, साबूदाना, दूध और सूखे मेवे जैसे भोजन शरीर को संतुलित रखते हैं और पाचन को सुचारु बनाते हैं.

व्रत पारण के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए?

छठ व्रत में तामसिक भोजन पूरी तरह वर्जित है. प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडा और मसालेदार व्यंजन खाने से बचना चाहिए. इन चीजों का सेवन व्रत की पवित्रता को प्रभावित करता है.

व्रत पारण के पीछे धार्मिक महत्व क्या है?

यह प्रक्रिया सूर्यदेव और छठी मैया के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है. व्रती महिलाएं परिवार की समृद्धि, संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना के साथ यह उपवास पूर्ण करती हैं.

व्रत पारण का वैज्ञानिक पहलू क्या है?

36 घंटे का निर्जला उपवास शरीर को डिटॉक्स करता है. अर्घ्य के बाद हल्का और सात्विक भोजन लेने से शरीर की ऊर्जा धीरे-धीरे वापस आती है और पाचन तंत्र संतुलित रहता है.

पारण के दिन प्रसाद कैसे बांटा जाता है?

व्रती सबसे पहले छठी मैया को अर्पित प्रसाद ग्रहण करती हैं, फिर परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों में बांटती हैं. इसके बाद सभी लोग इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं.

छठ पारण के दौरान मनोवैज्ञानिक दृष्टि से क्या महत्व है?

यह व्रत आत्मसंयम, धैर्य और निस्वार्थ भावना का प्रतीक है. व्रती का यह अनुशासन जीवन में संतुलन और मानसिक शांति का संदेश देता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.