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आज अहोई अष्टमी व्रत पर तारों को अर्घ्य देने से मिटेगी संतान की हर बाधा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी का व्रत आज 13 अक्टूबर को रखा जा रहा है. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 से 7:08 तक रहेगा और तारे निकलने का समय 7:32 बजे का है. माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और तारे देखकर अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं.

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Edited By: Km Jaya
अहोई अष्टमी
Courtesy: Pinterest

Ahoi Ashtami 2025: आज देशभर में अहोई अष्टमी का व्रत बड़े श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. यह व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. अहोई अष्टमी का विशेष महत्व माताओं के लिए होता है, जो अपनी संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना करती हैं. इस व्रत को विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है.

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अहोई अष्टमी की तिथि 13 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 09 मिनट तक रहेगी. ऐसे में व्रत और पूजा आज यानी 13 अक्टूबर को ही की जाएगी. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 53 मिनट से शाम 7 बजकर 08 मिनट तक रहेगा. भक्तों के पास पूजा के लिए लगभग सवा घंटे का समय होगा.

अहोई अष्टमी के व्रत से मिलने वाला फल

अहोई अष्टमी पर महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और शाम को तारे देखकर अर्घ्य देती हैं. यह परंपरा मां अहोई को प्रसन्न करने और संतान की रक्षा के लिए की जाती है. द्रिक पंचांग के अनुसार, आज तारे निकलने का समय शाम 7 बजकर 32 मिनट पर है. इसी समय महिलाएं अर्घ्य देकर व्रत खोलेंगी. यह व्रत न केवल संतान वाली महिलाओं के लिए, बल्कि संतान की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिए भी अत्यंत फलदायी माना जाता है.

अहोई अष्टमी की पूजन विधि

पूजन विधि के अनुसार, अहोई अष्टमी की सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद गेरू या लाल रंग से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है. देवी की प्रतिमा या चित्र के सामने जल से भरा कलश रखा जाता है. फिर दीपक जलाकर अहोई माता को रोली, फूल, फल, खीर, हलवा और पूरी का भोग लगाया जाता है. पूजा के दौरान सात गेहूं के दाने और दक्षिणा हाथ में लेकर कथा सुनी जाती है.

कथा के बाद अर्घ्य देने की विधि

कथा के बाद महिलाएं गेहूं के दाने और दक्षिणा अपनी सास या किसी बुजुर्ग महिला को देकर उनका आशीर्वाद लेती हैं. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में विधिवत पूजा की जाती है और तारे निकलने पर अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देने के लिए कलश में पानी लेकर उसमें गंगाजल मिलाया जाता है और उसे सिर के ऊपर उठाकर तारे की दिशा में अर्पित किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से संतान की आयु लंबी होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.