Sawan 2024: सावन का महीना बेहद पवित्र होता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है. शिवपुराण के अनुसार, स्वयं भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा है कि उन्हें वे भक्त काफी अधिक पसंद हैं, जो अनन्य भक्ति करते हैं. वहीं, जो मांस का भक्षण करते हैं या फिर शराब का सेवन करते हैं, वे भगवान शिव के करीब नहीं हो पाते हैं. ज्यादातर लोग सावन के महीने में काफी संयमित जीवन जीते हैं. हमारे आयुर्वेद में भी सावन के महीने में मांस और प्याज-लहसुन का सेवन वर्जित माना जाता है.
सावन के महीने से ही मानसून की शुरुआत हो जाती है. इसके साथ ही कई बैक्टीरिया भी इस दौरान पनपने लगते हैं और हमारा इम्यून सिस्टम भी इस समय पर स्लो हो जाता है. इसके कारण शरीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है. आयुर्वेद में लहसुन और प्याज का नियमित रूप से सेवन करने को मना किया जाता है. ऐसा इस कारण है क्योंकि प्याज और लहसुन का अधिक सेवन शरीर से गुड बैक्टीरिया को भी खत्म कर देता है. इसके साथ ही इस मौसम में पाचन क्रिया कमजोर होने के कारण नॉनवेज पचाने में भी समस्या हो जाती है.
शिवपुराण के विद्येश्वरसंहिता में अध्याय 25 श्लोक 4 में लिखा है कि 'मद्यं मांसं तु लशुनं पलाण्डुं शिग्रुमेव च। श्लेष्मान्तकं विड्वराहं भक्षणे वर्जयेत्ततः'. इसका अर्थ हे कि जो भी शिवभक्त हैं उनको मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज, सहजन, लिसोड़ा विड्वराह आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
इसके साथ ही स्कंद पुराण में भी एक श्लोक है कि 'क्व मांस क्व शिवे भक्ति: क्व मद्य क्व शिवार्चनं। मद्यमांसरतानां च दूरे तिष्ठति शंकर' इसका अर्थ है कि कहां मांस और कहां शिव भक्ति व कहां मद्यपान (शराब) और कहां शिव की उपासन. भगवान शिव तो शराब का सेवन और नॉनवेज खाने वाले से दूर ही रहते हैं. शिव पुराण में रुद्राक्षधारियों अर्थात् शिव के भक्तों के लिए मांस, मछली और शराब को वर्जित माना गया है.
कई बार लोग भ्रमित हो जाते हैं. उनको लगता है कि भगवान शिव गांजा पीते हैं,लेकिन ऐसा नहीं है. जब भगवान शिव संहारक हैं. वे दुनिया की समस्त बुराइयों को लेकर अपने भक्त को सुखी जीवन प्रदान करते हैं. शिव ने समुद्र से निकला हलाहल विष का पान भी पृथ्वी के लोगों को इसके भयानक प्रभाव से बचाने के लिए क्या था. भगवान शिव पर भांग आदि नशीली चीजें इस कारण चढ़ाई जाती हैं, क्योंकि भक्त शिव को अर्पित करके, इसका त्याग कर दें.
मानसून में शहद, दूध, दही का सेवन साइंस के अनुसार वर्जित हो जाता है. इस कारण यह भगवान शिव को अर्पित किया जाता है, जिससे इसके दुष्प्रभाव उनके भक्तों पर न पड़ें. भगवान शिव भक्तों की हर समस्या को अपना बनाकर उनको सुखी जीवन प्रदान करते हैं.
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