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'मोदी को अमित शाह और केजरीवाल को मनीष सिसोदिया ही चाहिए...', राजनीति पर ऐसा क्यों बोले विकास दिव्यकीर्ति?

एक पॉडकास्ट के दौरान विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि इसलिए मैं कहता हूं कि भारत की राजनीति में परिवारवाद या यारवाद का कल्चर हावी है और इसका कोई विकल्प ही नहीं है. उन्होंने कहा मोदी हों या चाहे कोई भी हो टॉप लेवल पर बैठे नेता को हमेशा असुरक्षा का खतरा रहता है, इसलिए उसके लिए परिवार के इसी सदस्य या अपने भरोसेमंद को नंबर दो पर बैठाना जरूरी हो जाता है.

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Vikas Divyakirti News: पूर्व सिविल सेवा अधिकारी, शिक्षक, लेखक और पॉपुलर यूट्यूबर विकास दिव्यकीर्ति ने भारत के राजनीतिक ढांचे पर बात की. उन्होंने कहा कि भारत की किसी भी पार्टी में उच्च पदों पर परिवारवाद या यारवाद का कल्चर हावी है और इसके बिना किसी भी पार्टी का काम नहीं चल सकता. एएनआई के साथ एक पोडकॉस्ट में विकास दिव्य कीर्ति ने कहा कि किसी भी पार्टी में टॉप लेवल पर जो दो लोग होंगे वो या तो एक ही परिवार के होंगे या फिर बहुत गहरे दोस्त होंगे. इसके अलवा तीसरा कोई विकल्प नहीं है.

वरना मैं हमेशा खतरे में रहूंगा
उन्होंने कहा कि इसका कारण ये है कि मान लीजिए कि मैं प्रधानमंत्री हूं और पार्टी का अध्यक्ष मेरे कोई करीबी नहीं है तो मैं हमेशा खतरे में रहूंगा. तो क्या होगा कि एक ही घर के दो लोग जैसे मानों पति मुख्यमंत्री है और पत्नी पार्टी की अध्यक्ष है क्योंकि उसे पता है कि चाहे कुछ भी हो जाए यह मुझे धोखा नहीं देगी. या फिर ऐसा हो सकता है कि बाप सीएम है और बेटा पार्टी का अध्यक्ष है वो चल जाएगा.

मोदी जी को अमित शाह और केजरीवाल को सिसोदिया ही चाहिए
दिव्यकीर्ति ने आगे कहा कि कहीं-कहीं परिवार का सिस्टम नहीं चल पाता जैसे की मोदी जी हैं उनके पास उस तरह का परिवार नहीं है लेकिन असुरक्षा उनको भी है. अगर पार्टी का अध्यक्ष कोई ऐसा व्यक्ति बन गया जो उनके खिलाफ है तो सारी ताकत वहीं खर्च हो जाएगी. तो उन्हें पार्टी का अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति चाहिए जिस पर आंख बंद कर के भरोसा किया जा सके. इसमें नड्डा या अमित शाह हो सकते हैं जिन पर उन्हें सबसे अधिक भरोसा है. मोदी जी को आरएसएस से भी खतरा रहता है. केजरीवाल भी परिवारवाद वाले आदमी नहीं हैं इसलिए उनको मनीष सिसोदिया चाहिए जिन पर आंख बंद कर के भरोसा किया जा सके.

उन्होंने कहा कि राजनीति के अलावा कंपनियों में भी टॉप लेवल पर यही होता है. नंबर दो पर वही व्यक्ति चाहिए होता है जिस पर आंख बंद कर भरोसा किया जा सके. इसलिए इस देश में दो ही वाद हैं या तो परिवारवाद या यारवाद.

नंबर दो पर जाना है तो लॉयल्टी सबसे जरूरी
अगर आपको किसी भी संगठन में नंबर दो पर जाना है तो भरोसा (लॉयल्टी) सबसे बड़ी पात्रता है और इस लॉयल्टी में आपको टॉप लेवल पर बैठे नेता की सारी खामियों को नजरअंदाज करना होता है या फिर इस तरह से बताना होता है जिस तरह से वह चाहता है. इससे दोनों के बीच भरोसा और बढ़ता है और इसमें संचार कौशल सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.