नई दिल्ली: अगर आप ट्रेन से सफर कर रहे हैं और अचानक तबीयत खराब हो जाती है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. भारतीय रेलवे यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चलती ट्रेन में भी डॉक्टरी सहायता की सुविधा प्रदान करता है. यात्री किसी भी श्रेणी की ट्रेन-पैसेंजर, मेल या एक्सप्रेस-में यात्रा कर रहे हों, उन्हें जरूरत पड़ने पर तुरंत मदद मिल सकती है. रेलवे ने हर जोन में मेडिकल टीमें तैनात की हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सहायता दी जा सके.
इस सेवा का लाभ लेने के लिए यात्री केवल टीटीई को सूचित करें या हेल्पलाइन नंबर 139 पर कॉल करें. रेलवे कंट्रोल रूम सूचना मिलते ही अगले स्टेशन पर डॉक्टर या मेडिकल टीम की व्यवस्था करता है. अगर मरीज की हालत गंभीर होती है, तो रेलवे न केवल ट्रेन रोकता है बल्कि यात्री को नजदीकी सरकारी अस्पताल तक भी पहुंचाता है. यह सुविधा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर समय उपलब्ध है.
अगर ट्रेन में सफर के दौरान तबीयत बिगड़ जाए, तो तुरंत टीटीई को सूचित करें या हेल्पलाइन 139 पर कॉल करें. सूचना मिलते ही रेलवे कंट्रोल रूम अगले स्टेशन पर डॉक्टर की व्यवस्था करता है ताकि यात्री को समय पर इलाज मिल सके.
हां, भारतीय रेलवे पैसेंजर, मेल और एक्सप्रेस – सभी ट्रेनों में मेडिकल सहायता की सुविधा देता है. यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर जोन में मेडिकल टीमें तैनात रहती हैं.
ट्रेन में डॉक्टर सहायता के लिए यात्रियों को 100 रुपये कंसल्टेशन फीस और दवाओं के पैसे अलग से देने होते हैं. यह फीस इलाज के बाद रेलवे कर्मचारी द्वारा EFT (Excess Fare Ticket) के रूप में ली जाती है.
यदि किसी यात्री की तबीयत बहुत खराब हो जाए और उसे अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़े, तो रेलवे मरीज को अगले स्टेशन पर उतारकर नजदीकी सरकारी अस्पताल पहुंचाने की पूरी व्यवस्था करता है.
यह इमरजेंसी सेवा देशभर के लगभग सभी बड़े और छोटे रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध है. रेलवे ने यह सुविधा यात्रियों की सुरक्षा और त्वरित सहायता सुनिश्चित करने के लिए लागू की है.
अगर किसी स्टेशन पर डॉक्टर न हो, तो रेलवे यात्री की सहमति लेकर उसे नजदीकी सरकारी अस्पताल भेज देता है. साथ ही, रेलवे यह सुनिश्चित करता है कि मरीज को समय पर इलाज मिले.
अगर रेल दुर्घटना में यात्री घायल होता है या तबीयत खराब होती है, तो रेलवे पूरी मेडिकल सुविधा मुफ्त में देता है. ऐसे मामलों में कोई कंसल्टेशन फीस नहीं ली जाती.
2018 से पहले रेलवे डॉक्टर सहायता के लिए केवल 20 रुपये लेता था, लेकिन दुरुपयोग बढ़ने के कारण इस शुल्क को 100 रुपये कर दिया गया. रेलवे ने बताया कि लोग मामूली बीमारी में भी डॉक्टर बुला लेते थे, जिससे संसाधनों का गलत इस्तेमाल हो रहा था.
यह सेवा सभी वर्गों -सामान्य, स्लीपर, एसी और पैसेंजर ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए समान रूप से उपलब्ध है. रेलवे का उद्देश्य हर यात्री की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है.