Capital Gains Tax: एक स्मार्ट निवेशक न केवल निवेश के बेहतर विकल्पों की तलाश करता है बल्कि वह निवेश से मिलने वाले रिटर्न पर होने वाले कैपिटल गेन टैक्स को भी बचाने के विकल्पों पर भी पूरा ध्यान देता है. जानकारी के अभाव में जहां छोटे निवेशक अपने रिटर्न पर कैपिटल गेन टेक्स चुका देते हैं वहीं बड़े और स्मार्ट निवेशक समय रहते अपने कैपिटल गेन टैक्स को विभिन्न योजनाओं में निवेश कर बचा लेते हैं.
उदाहरण के तौर पर जब आप कोई प्रॉपर्टी, इक्विटी या म्यूचुअल फंड बेचते हैं तो उससे होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है. हालांकि यहां हम आपको कुछ ऐसे नियम बताएंगे जिन्हें अपनाकर आप कैपिटल गेन टैक्स चुकाने से बच सकते हैं.
इस तरह पा सकते हैं टैक्स में छूट
आयकर विभाग की धारा 54 के मुताबिक अगर आप कोई प्रापर्टी बेचते हैं और उससे होने वाली आमदनी को 2 या 3 साल के भीतर किसी दूसरी प्रॉपर्टी को खरीदने में खर्च कर देते हैं तो शुरुआत में जिस प्रॉपर्टी को बेचकर आपने मुनाफा कमाया उस पर टैक्स में छूट मिल सकती है. बस आपको ध्यान यही रखना है कि नई प्रॉपर्टी आपको पुरानी प्रॉपर्टी बेचने के 2 या 3 साल के भीतर खरीदनी होगी.
मान लीजिए कि आपने 2 साल पहले एक घर 20 लाख में खरीदा और अब उसे 40 लाख में बेच दिया. तो आपको 20 लाख का सीधा मुनाफा हुआ. अब आपको इस मुनाफे पर 3% का सरचार्ज और सेस (उपकर) के अलावा 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स भी देना होगा लेकिन अगर आप इस आय से कोई नया मकान खरीद लेते हैं तो आपको इस टैक्स में छूट मिलेगी.
हालांकि यह छूट आपको केवल 1 घर खरीदने पर ही मिलेगी. इसके अलावा आप नए घर या प्रॉपर्टी को 3 साल बाद तक नहीं बेच सकते. ऐसा करने पर टैक्स में मिली छूट रद्द कर दी जाएगी.
कितना देना होगा टैक्स
अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने के 3 साल के भीतर उसे बेच देते हैं तो इससे होने वाले मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा और इस रकम को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और इसके बाद आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स वसूला जाएगा.
वहीं अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने के 3 साल बाद उसे बेचते हैं तो उससे होने वाले मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा और इस पर आपको 20.8% के हिसाब से टैक्स देना होगा.