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'Chatgpt से 5 गुना तेजी से लिख पाया, पहले 25-30 घंटे लगते थे', नारायण मूर्ति ने की AI की तारीफ

इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने कहा कि उनका मानना ​​है कि एआई कुशल श्रम को प्रतिस्थापित किए बिना उत्पादकता बढ़ाता है.

Imran Khan claims
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 इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने हाल ही में खुलासा किया कि वे अपने भाषणों और व्याख्यानों के प्रारूप तैयार करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) टूल चैटजीपीटी का उपयोग करते हैं. इस तकनीक ने उनके लेखन के समय को काफी कम कर दिया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,  नारायण मूर्ति ने बताया, "पहले एक व्याख्यान तैयार करने में मुझे 25-30 घंटे लगते थे, क्योंकि मैं इन चीजों को बहुत गंभीरता से लेता हूँ. एक थीम, उप-थीम होनी चाहिए; ये आपस में जुड़ी होनी चाहिए. अंत में एक मजबूत संदेश होना चाहिए." अब, ओपनएआई के चैटजीपीटी-4 की मदद से वे इस प्रक्रिया को तेज कर पाए हैं.

पांच घंटे में तैयार होता है ड्राफ्ट

78 वर्षीय तकनीकी दिग्गज ने बताया कि उनके बेटे रोहन मूर्ति ने उन्हें चैटजीपीटी से परिचित कराया और ड्राफ्ट लिखने के लिए इसका उपयोग करने को कहा. मूर्ति ने कहा, "मात्र पांच घंटे में मैं ड्राफ्ट को बेहतर बना सका. दूसरे शब्दों में, मैंने अपनी उत्पादकता को पांच गुना बढ़ा लिया." यह तकनीक न केवल समय बचाती है, बल्कि उनके काम को और प्रभावी बनाती है.

एआई: मददगार, न कि प्रतिस्थापन

नारायण मूर्ति ने पहले भी एआई के उपयोग की वकालत की है, इसे कुशल श्रम का प्रतिस्थापन नहीं, बल्कि सहायक टूल माना है. उनका मानना है कि जेनरेटिव एआई कोडिंग जैसे कामों को तेज करने और त्रुटियों को कम करने में मदद करता है. इससे तकनीकी उद्योग में उत्पादकता बढ़ती है और कामों का टर्नअराउंड समय कम होता है.

मूर्ति ने कहा, "चालाकी सही सवाल पूछने में है. मेरे बेटे ने मुझसे कहा था, जब तक आप सही सवाल नहीं पूछेंगे, आपको सही परिणाम नहीं मिलेगा. भविष्य में हमारे प्रोग्रामर और विश्लेषक बेहतर और जटिल आवश्यकताओं को परिभाषित करने में और स्मार्ट होंगे. वे बड़े और जटिल समस्याओं का समाधान करेंगे."

1970 के दशक से तुलना

मूर्ति ने एआई के उदय की तुलना 1970 के दशक में बैंकिंग क्षेत्र में कंप्यूटरों के उपयोग से की. उस समय मशीनों को मानव श्रम के लिए खतरा माना गया था और यूनियनों ने इसका विरोध किया था. हालांकि, इन मशीनों ने उत्पादकता बढ़ाई और कर्मचारियों को हर दिन शाम 5 बजे तक घर जाने का समय दिया, जिससे वे अपने परिवार के साथ अधिक समय बिता सके. मूर्ति का मानना है कि एआई भी इसी तरह मानव कार्यों को बेहतर बनाएगा.

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