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India Daily

कानपुर में स्ट्रीट डॉग को पीट-पीटकर कर अधमरा, मुंह और पैर बांधकर बोरी में भरा, डॉग प्रेमियों ने दर्ज कराई FIR

पशु कल्याण संगठन के संयोजक ने स्थानीय लोगों से वीडियो मिलने के बाद शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि पकड़ने वाले केएनएन के मवेशी पकड़ने वाले दस्ते के सदस्य होने का दिखावा कर रहे थे.

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Edited By: Mayank Tiwari
Street Dog
Courtesy: X

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के जाजमऊ क्षेत्र में स्थित एमराल्ड गुलिस्तान टाउनशिप में पिछले 10 दिनों में रिकॉर्ड किए गए कई वीडियो ने सनसनी फैला दी है. इन वीडियो में कुछ लोग आवारा कुत्तों को पकड़कर, उन्हें पीटकर और बोरे में भरकर ले जाते दिखाई दे रहे हैं. इस टाउनशिप में लगभग 200 फ्लैट, 90 बंगले और 100 विला हैं. पशु कल्याण संगठनों ने इस घटना पर गहरा रोष जताया है और आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में कई कुत्तों की मौत हो चुकी है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पशु कल्याण संगठन ‘ए फेथफुल हैंड’ के संयोजक विद्याभूषण तिवारी ने स्थानीय लोगों से प्राप्त वीडियो के आधार पर पुलिस में शिकायत दर्ज की है. उनकी शिकायत के बाद 6 अज्ञात लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. तिवारी ने बताया कि निवासियों ने उनके संगठन को सूचित किया कि कुत्तों को पकड़ने वाले लोग खुद को कानपुर नगर निगम की पशु पकड़ने वाली टीम का हिस्सा बताते थे. उन्होंने दावा किया, “इन लोगों को टाउनशिप के निवासियों ने प्रति कुत्ता 500 से 2,000 रुपये के बीच भुगतान किया था ताकि आवारा कुत्तों की संख्या कम की जाए.

जानिए कानपुर पुलिस ने क्या कहा?

एडिशनल डीसीपी राजेश पांडे ने कहा, “हमें कुत्तों के साथ क्रूरता और हत्या की शिकायत मिली है. हमने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. सीसीटीवी फुटेज और वीडियो में दिख रहे गाड़ियों के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है. जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.” 

नगर निगम ने किया खंडन  

कानपुर नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी आरके निरंजन ने इस मामले में नगर निगम की किसी भी संलिप्तता से इनकार किया. उन्होंने कहा, “वीडियो में दिख रहे लोग नगर निगम की पशु पकड़ने वाली टीम से नहीं हैं. यह एक आपराधिक गिरोह का काम प्रतीत होता है. नगर निगम केवल आवारा कुत्तों की नसबंदी करता है और उन्हें बाद में छोड़ देता है. उन्हें नुकसान पहुंचाने या मारने का कोई आदेश नहीं है.”

पशु कल्याण पर बहस 

इस घटना ने शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों के प्रबंधन पर बहस को फिर से तेज कर दिया है. पशु अधिकार कार्यकर्ता सोनल गुप्ता ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने बार-बार नसबंदी और टीकाकरण को एकमात्र कानूनी तरीका बताया है. जाजमऊ में जो हुआ, वह अवैध और अमानवीय है.”

पुलिस ने बताया कि वीडियो में दिख रहे लोगों को ट्रैक करने और निवासियों से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन्हें किसने किराए पर लिया था. पांडे ने कहा, “हम फुटेज की जांच कर रहे हैं और निवासियों से पूछताछ कर रहे हैं कि इन लोगों को किसने बुलाया. इस काम को अंजाम देने वाले और उन्हें किराए पर लेने वाले दोनों जिम्मेदार होंगे.”