How Calls Connect: मोबाइल फोन का इस्तेमाल हर कोई करता है. इस डिवाइस से दूर-दराज बैठे व्यक्ति से चुटकियों में बात हो जाती है. आपको बस फोन से नंबर डायल करना होता है और कॉल लग जाती है. कितना आसान है न, लेकिन क्या कभी ये जनने की कोशिश की है कि दो फोन्स के बीच में कॉल कनेक्ट होती कैसे हैं? शायद नहीं की होगी. बता दें कि कॉल कनेक्ट होने का प्रोसेस इतना भी सिंपल नहीं है. हां, ये प्रोसेस बेहद ही फास्ट है लेकिन आसान नहीं. आज हम आपको स्टेप-स्टेप बता रहे हैं कि आखिर कॉल कनेक्ट कैसे होती है.
1. डायल करना: आप जिसे कॉल करना चाहते हैं उसका नंबर डायल करते हैं और कॉल बटन दबाते हैं.
2. सिग्नल ट्रांसमिशन: आपका फोन नजदीकी सेल टावर को सिग्नल भेजता है. इस सिग्नल में कॉल के बारे में जानकारी होती है जिसमें आप जिस नंबर पर कॉल कर रहे हैं और आपके फोन की पहचान भी शामिल है.
3. टावर हैंडऑफ: अगर आप चलते-चलते कॉल कर रहे हैं और आप टावर की रेंज से बाहर आ जाते हैं तो कॉल को दूसरे टावर पर स्विच कर दिया जाता है.
4. नेटवर्क रूटिंग: फिर सिग्नल को सेलुलर नेटवर्क के जरिए रूट किया जाता है. इसमें आपके कॉल को रिसीवर के नेटवर्क से कनेक्ट किया जाता है.
5. इंटरकनेक्शन: अगर रिसीवर किसी अलग नेटवर्क या किसी अलग लोकेशन पर है तो कॉल को कई नेटवर्क और कैरियर के बीच ट्रांसफर किया जाता है.
6. रिसीवर नेटवर्क: एक बार जब कॉल रिसीवर के नेटवर्क तक पहुंच जाती है, तो इसे रिसीवर के नजदीकी सेल टावर पर डायरेक्ट कर दिया जाता है.
7. रिसीवर का फोन: फिर सिग्नल को रिसीवर के फोन पर वायरलेस तरीक से ट्रांसमिलट कर दिया जाता है.
8. कनेक्शन: जब रिसीवर के फोन को कॉल सिग्नल मिलता है तो यह रिसीवर को अलर्ट देता है और टू-वे कम्यूनिकेशन चैनल बनाता है.
इस पूरे प्रोसेस के दौरान अलग-अलग सिग्नल प्रोटोकॉल और टेक्नोलॉजी यह सुनिश्चित करती हैं कि कॉल आपके मोबाइल फोन से रिसीवर के फोन तक सिक्योर तरीक से पहुंच पाए.