Digital Arrest: साइबर क्राइम का एक मामला सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी और उनके परिवार को ठगी का शिकार होना पड़ा. स्कैमर्स ने इनसे 3.2 करोड़ से ज्यादा पैसा ठग लिया. बता दें कि अधिकारी, उनकी पत्नी और बेटी समेत पूरे परिवार को 16 जुलाई से 22 अगस्त तक 37 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया था. स्कैमर्स ने खुद को सरकारी और पुलिस एजेंसियों का अधिकारी बताया था. चलिए जानते हैं कि ये मामला कैसे शुरू हुआ.
16 जुलाई को, अधिकारी को एक कॉल आया जिसमें उन्होंने खुद को ट्राई से संबंधित बताया. फोन करने वाले ने उन पर उत्पीड़न और स्पैम जैसी अवैध एक्टिविटीज में शामिल होने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि उनके फोन नंबर का इस्तेमाल इस तरह की गतिविधियों में किया जा रहा है. इसके अलावा उन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच के किसी व्यक्ति से बात करने के लिए भी कहा गया. यहां पर एक और स्कैमर ने उन्हें बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल नरेश गोयल से जुड़े एक मामले में हुआ है. कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक बैंक अकाउंट खोलने के लिए किया गया था.
फेक अदालत और डिजिटल अरेस्ट:
स्कैमर्स ने उन्हें बताया कि उनके और उनके परिवार के खिलाफ गैर-जमानती अरेस्ट वारंट जारी हुआ है. उन्होंने कहा कि वो एक वरिष्ठ नागरिक हैं और निर्दोष हैं. उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. स्कैमर्स ने उन्हें कहा कि उन्हें मुंबई जाने की जरूरत नहीं है लेकिन उन्हें डिजिटल अरेस्ट करना होगा एक महीने से ज्यादा समय तक इनके परिवार को वीडियो कॉल पर रखा गया. साथ ही उन्हें एक व्यक्ति के आगे पेश किया गया है. वैसे तो यह व्यक्ति स्कैमर था लेकिन इसने खुद को पीएमएलए अदालत का जज बताया. अधिकारी से कहा गया कि उनके बैंक अकाउंट का वेरिफिकेशन जरूरी है.
अरेस्ट के दौरान अधिकारी के परिवार ने 3.2 करोड़ रुपये से ज्यादा स्कैमर्स द्वारा बताए गए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. उन्हें कहा गया कि वेरिफिकेशन के बाद ये पैसा उन्हें वापस मिल जाएगा. जब स्कैमर्स ने उनसे बात करना बंद कर दिया तब उनके परिवार को लगा कि उनके साथ धोखा हुआ है. इसके बाद 28 अगस्त को उनकी बेटी ने साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है.