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Uttarakhand Conversion Law: यूपी मॉडल पर उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद पर बने ये कठोर कानून, जानें क्या होगी सजा

उत्तराखंड सरकार जबरन धर्मांतरण पर कानून को यूपी मॉडल की तरह और सख्त बना रही है. नए संशोधन बिल में 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. डिजिटल धर्मांतरण, छिपाकर विवाह, और विदेशी फंडिंग जैसी गतिविधियां अब दंडनीय होंगी. विधानसभा के मानसून सत्र में यह बिल पेश किया जाएगा.

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Edited By: Km Jaya
CM Pushkar Singh Dhami
Courtesy: Social Media

Uttarakhand Conversion Law: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद को रोकने के लिए यूपी मॉडल पर आधारित सख्त कानून ला रही है. राज्य कैबिनेट ने 12 अगस्त को प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और इसे 19 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. इस नए कानून के तहत अब दोषी को 20 साल तक की कैद से लेकर उम्रकैद की सजा दी जा सकेगी.

2018 में जबरन धर्मांतरण पर 5 साल की सजा का प्रावधान था. 2022 में इसे संशोधित कर न्यूनतम 2 से 10 साल और 25,000 रुपये जुर्माना किया गया. अब 2025 संशोधन बिल में इसे और कड़ा कर दिया गया है. सामान्य मामलों में 50,000 रुपये जुर्माने के साथ 3 से 10 साल की जेल का प्रावधान होगा. अगर पीड़ित महिला, बच्चा, अनुसूचित जाति/जनजाति या विकलांग है, तो सजा बढ़ कर 5 से 14 साल तक और जुर्माना न्यूनतम 1 लाख रुपये होगा. वहीं, जबरन विवाह या ट्रैफिकिंग के जरिए धर्मांतरण कराने पर 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और पीड़ित की चिकित्सा व पुनर्वास का खर्च आरोपी से वसूलने का प्रावधान है.

धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना अपराध

बिल में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं. डिजिटल माध्यमों से धर्मांतरण कराना, किसी धर्म की तुलना या अपमान करना, दूसरे धर्म की महिमा दिखाकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना अब अपराध की श्रेणी में आएगा. अगर कोई व्यक्ति शादी के लिए अपना धर्म नहीं बताता है, तो उसको 3 लाख रुपये जुर्माना और 3 से 10 साल की जेल की सजा होगी. पीड़ित व्यक्ति के परिवार और कानूनी वारिस को भी शिकायत दर्ज करने का अधिकार होगा.

फंडिंग के जरिए धर्मांतरण 

यदि धर्मांतरण अपराध से संपत्ति अर्जित की जाती है, तो जिला मजिस्ट्रेट उसे जब्त कर सकेगा. साथ ही, दोष सिद्ध करने का बोझ आरोपी पर होगा. किसी भी विदेशी या बैन फंडिंग के जरिए धर्कम परिवर्तन कराने पर 7 साल से लेकर 14 साल तक की कठोर सजा और कम से कम 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान होगा. इसके अलावा धर्मांतरण के 60 दिन के भीतर इसकी जानकारी जिला मजिस्ट्रेट को देना अनिवार्य होगा.

महिलाओं से जुड़े मामले

सरकार का कहना है कि राज्य में जबरन धर्मांतरण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, खासकर महिलाओं से जुड़े मामलों में. भाजपा लंबे समय से इसे लव जिहाद से जोड़कर मुद्दा बनाती रही है. हाल ही में विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने वाले कई जोड़ों को विरोध और धमकियों का सामना करना पड़ा था.

बाहरी लोगों के लिए पाबंदियां

उत्तराखंड सरकार इससे पहले समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर चुकी है और कृषि भूमि पर बाहरी लोगों के लिए पाबंदियां लगा चुकी है. साथ ही, अवैध मदरसों पर कार्रवाई भी की गई है. नया धर्मांतरण कानून राज्य में राजनीतिक और सामाजिक बहस का बड़ा विषय बनने जा रहा है.