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Uttarakhand land scam: हरिद्वार जमीन घोटाले में CM धामी का एक्शन, DM, SDM समेत 12 अधिकारी सस्पेंड, जानें पूरा मामला

उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और नगर आयुक्त को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.

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Edited By: Garima Singh
Uttarakhand land scam
Courtesy: X

Uttarakhand land scam: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और नगर आयुक्त को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई मंगलवार, 3 जून 2025 को एक कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में की गई, जिसने राज्य के प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मामला 14 करोड़ रुपये की अनुमानित कीमत वाली जमीन को 54 करोड़ रुपये में खरीदने से जुड़ा है. इस अनियमितता की जांच के लिए मुख्यमंत्री धामी ने त्वरित आदेश दिए थे. जांच के परिणामस्वरूप, हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह, एसडीएम अजयवीर सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी सहित कुल 12 अधिकारियों पर कार्रवाई की गई. यह पहला मौका है जब उत्तराखंड सरकार ने एक साथ इतने वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया है. 

जांच रिपोर्ट ने उजागर की अनियमितताएं

उत्तराखंड शासन के सचिन रणवीर द्वारा सौंपी गई 100 पन्नों की विस्तृत जांच रिपोर्ट ने इस घोटाले की परतें खोलीं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि एक कृषि भूमि को कमर्शियल दरों पर खरीदा गया, जबकि इसके लिए लैंड पूलिंग कमेटी की मंजूरी अनिवार्य थी. यह कमेटी भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और बिना इसकी अनुमति के कोई भी जमीन व्यावसायिक उपयोग के लिए खरीदी नहीं जा सकती. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि एसडीएम अजयवीर सिंह ने उत्तराखंड राजस्व संहिता की धारा 143 का दुरुपयोग कर कृषि भूमि को गैर-कृषि उपयोग में बदल दिया. सामान्यतः इस प्रक्रिया में व्यापक जांच और मंजूरी की आवश्यकता होती है, जो महीनों ले सकती है. लेकिन इस मामले में पूरी प्रक्रिया को केवल 2-3 दिनों में पूरा कर लिया गया, जो गंभीर अनियमितता का संकेत देता है. 

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ को दोहराते हुए कहा, “भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने पर किसी भी अधिकारी को, चाहे वह किसी भी पद पर हो, बख्शा नहीं जाएगा. इस मामले की जांच अब राज्य के विजिलेंस डिपार्टमेंट को सौंप दी गई है, जो भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों की गहन पड़ताल करेगा.

आगे की कार्रवाई

निलंबित अधिकारियों डीएम कर्मेन्द्र सिंह, एसडीएम अजयवीर सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी पर अब विभागीय जांच शुरू होगी. जांच में दो IAS अधिकारियों और एक राज्य सिविल सेवा अधिकारी सहित अन्य 12 अधिकारियों की भूमिका भी खंगाली जाएगी.