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UKSSSC ने स्नातक स्तरीय परीक्षा को किया रद्द, पेपर लीक के बाद धामी सरकार का बड़ा एक्शन

21 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने स्नातक स्तरीय परीक्षा आयोजित की थी. लेकिन परीक्षा शुरू होने के कुछ ही देर बाद इसका पेपर व्हाट्सएप पर लीक हो गया.

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Edited By: Reepu Kumari
UKSSSC cancels graduate level exam
Courtesy: Pinterest

Uttarakhand Exam Cancelled: उत्तराखंड में आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक के बाद शुरू हुआ छात्रों का आंदोलन आखिरकार रंग लाया. राज्य सरकार ने शनिवार को बड़ा फैसला लेते हुए इस परीक्षा को रद्द कर दिया. 21 सितंबर को आयोजित इस परीक्षा में पेपर लीक की खबर सामने आने के बाद प्रदेशभर में युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छात्रों की मांग को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए थे. आज सरकार ने छात्रों के हक में फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि उनके शासन में युवाओं के भविष्य के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

सरकार के इस कदम के बाद आंदोलनरत छात्रों ने राहत की सांस ली और मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त किया. वहीं, मुख्यमंत्री ने बयान जारी कर कहा, “हमारे लिए छात्र और युवा सर्वोपरि हैं. हम उनके भविष्य को लेकर पूरी तरह गंभीर हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.”

क्या था पूरा मामला?

21 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने स्नातक स्तरीय परीक्षा आयोजित की थी. लेकिन परीक्षा शुरू होने के कुछ ही देर बाद इसका पेपर व्हाट्सएप पर लीक हो गया. बताया गया कि आरोपी खालिद मलिक ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को तीन पन्ने भेजे थे, जबकि उसकी बहन साबिया भी इस साजिश में शामिल थी. दोनों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.

प्रदेशभर में भड़का आंदोलन

पेपर लीक की खबर के बाद पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. बेरोजगार संगठन और अभ्यर्थी देहरादून के परेड ग्राउंड में धरने पर बैठ गए थे. आंदोलन कई दिनों तक चला, जिसके बाद मुख्यमंत्री धामी खुद छात्रों से मिलने धरना स्थल पहुंचे. उन्होंने वहां छात्रों से वादा किया कि जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी और निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी. सीएम के इस वादे के बाद सरकार ने केंद्र को जांच सौंपने के लिए प्रस्ताव भेजा. छात्रों की दूसरी प्रमुख मांग थी-परीक्षा को रद्द कर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए. अंततः सरकार ने यह मांग स्वीकार करते हुए परीक्षा रद्द करने का आदेश जारी कर दिया.

छात्रों में खुशी की लहर

सरकार के इस निर्णय के बाद आंदोलनरत छात्रों में उत्साह और संतोष की लहर दौड़ गई है. युवाओं ने कहा कि यह फैसला उत्तराखंड के इतिहास में एक मिसाल है, जिसने साबित किया कि छात्र एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करें तो सिस्टम को झुकना ही पड़ता है. मुख्यमंत्री धामी ने एक बार फिर दोहराया कि, 'प्रदेश के युवा मेरी प्राथमिकता हैं, उनके लिए यदि अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं पीछे नहीं हटूंगा.'