पूरे देश में अपनी नैनी झील के प्रसिद्द नैनीताल में 12 साल की नाबालिग के साथ रेप की वारदात के बाद तनाव पैदा हो गया. दरअसल एक 75 साल के मुस्लिम ठेकेदार ने मासूम बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया. इसकी जानकारी सार्वजनिक होते ही स्थानीय लोगों का गुस्सा आसमान में पहुंच गया. इसके बाद यहां भारी विरोध प्रदर्शन और तोड़फोड़ की घटना सामने आई.
नैनीताल हाईकोर्ट ने अब इस मामले में कड़ा रूख अपनाया है. कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो इस मामले में सख्ती से निपटे. इसी के साथ रेप के आरोपी मोहम्मद उस्मान को भी कोर्ट से राहत मिली है. नगरपालिका ने कोर्ट में अपनी गलती मानते हुए नोटिस वापस ले लिया है.
पालिका ने नोटिस लिया वापस
नगपालिका ने आरोपी को अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया था. आरोपी के वकील ने नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. उनका कहना था कि ये नोटिस सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइडन के अनुसार नहीं दिया गया है. ऐसे मामले में 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है,लेकिन उनके मुवक्किल को तीन दिन का ही नोटिस दिया गया. पालिका ने कोर्ट में अपनी गलती मानी और नोटिस वापस लेने की बात कही.
कब होगी मामले की अगली सुनवाई
नैनीताल नगरपालिका ने रेप के आरोपी मोहम्मद उस्मान के साथ रुक्कुट इलाके में रहने वाले कई लोगों को घर खाली करने का नोटिस भेजा था. पालिका के नोटिस पर कोर्ट ने रोक लगा दी है. अब इस मामले में 6 मई को सुनवाई होगी. बता दें कि नाबालिग के साथ रेप करने का आरोपी फिलहाल जेल में है. कोर्ट ने नैनीताल नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को तीन दिन का नोटिस भेजने पर फटकार लगाई और पूछा कि आपको 1 मई को कैसे पता चला कि मकान अवैध भूमि पर बना हुआ है.
एसएसपी को कोर्ट की फटकार
30 अप्रैल को रेप की वारदात के बाद भीड़ ने कुछ दुकानों में तोड़फोड़ करने के साथ नारेबाजी की थी. इस घटना के विरोध में 1 मई को बाजार बंद रहा और तनाव को देखते हुए स्कूल बंद रहे. इस मामले में हाईकोर्ट ने नैनीताल एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि आप लोगों ने तनाव को कम करने के लिए क्या किया. जब हिंसा हो रही थी तब पुलिस के सीनियर अधिकारी और प्रशासन वहां मौजूद नहीं था. इस मामले को सख्ती से निपटने के आदेश भी कोर्ट ने दिए.