देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नस्लीय गालियों और हिंसा से जुड़े एक गंभीर मामले में त्रिपुरा के एक एमबीए छात्र की मौत हो गई है. 24 वर्षीय एंजेल चकमा पर 9 दिसंबर को कथित तौर पर पांच युवकों ने हमला किया था. हमले के 18 दिन बाद शुक्रवार सुबह इलाज के दौरान एंजेल ने दम तोड़ दिया.
एंजेल चकमा देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय में एमबीए के छात्र थे. घटना के दिन वह अपने भाई माइकल चकमा के साथ शाम करीब छह से सात बजे के बीच सामान खरीदने बाहर निकले थे. इसी दौरान शराब के नशे में धुत कुछ युवकों ने दोनों भाइयों के साथ बदसलूकी शुरू की.
आरोप है कि आरोपियों ने जातिसूचक और नस्लीय गालियां दीं. जब दोनों भाइयों ने इसका विरोध किया तो विवाद बढ़ गया. पुलिस के अनुसार आरोपियों ने चाकू और लोहे के कड़े से हमला कर दिया.
माइकल चकमा के सिर पर कड़े से वार किया गया, जिससे उन्हें गंभीर चोट आई. जब एंजेल अपने भाई को बचाने आगे आए तो आरोपियों ने उनके पेट और सिर में चाकू घोंप दिया.
घायल एंजेल को गंभीर हालत में ग्राफिक एरा अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इलाज के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और शुक्रवार सुबह उनकी मौत हो गई, जिसके बाद मामला और गंभीर हो गया. पहले इस केस में हत्या के प्रयास की धाराएं लगाई गई थीं. एंजेल की मौत के बाद भारतीय न्याय संहिता के तहत हत्या की धारा जोड़ दी गई है.
इस मामले में अविनाश नेगी, शौर्य राजपूत, सूरज खवास, सुमित और आयुष बदोनी को आरोपी बनाया गया है. पुलिस ने सभी पांचों को 14 दिसंबर को गिरफ्तार किया था. फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं.
माइकल चकमा ने 10 दिसंबर को सेलकुई थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में यह भी कहा गया कि आरोपियों ने घटना की जानकारी पुलिस को देने पर जान से मारने की धमकी दी थी. दोनों भाई देहरादून में अकेले रहते थे और खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थे.