Geminids meteor shower 2025: नैनीताल में होने वाली है उल्का पिंडों की बारिश, जानें कैसे देख सकते हैं ये अद्भुत नजारा
मध्य दिसंबर में उल्कापिंड की बारिश होगी. जिसमें आप एक साथ हजारों तारों के टूटने का नजारा देख सकते हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि 13-14 दिसंबर की रात को आप तारों की बारिश होने की संभावना है.
दिसंबर का महीना हर साल अपने साथ कई सारीं खुशियों के साथ आता है, दिसंबर में सर्द हवाओं के साथ एक अद्भुद नजारा देखने को मिलता है. इस हफ्ते आप सितारों की बारिश देख सकते हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि 13-14 दिसंबर की रात को आप तारों की बारिश होने की संभावना है.
सितारों की बारिश यानी उल्कापिंड की बारिश, जिसमें आप एक साथ हजारों तारों के टूटने का नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं. इसके अलावा 21 दिसंबर की रात से उर्सिड्स उल्का बौछार भी नजर आएंगे जिसे 22 दिसंबर तक देखा जा सकता है.
क्या होता है जेमिनिड्स मीटियोर शावर?
अगर जेमिनिडस मीटियोर शावर यानी की सितारों की बारिश के बारे में बात की जाए तो यह कोई आम घटना नहीं है. इस दौरान धरती अंतरिक्ष के ऐसे हिस्से से गुजरती है, जहाँ बहुत छोटे-छोटे धूल के कण मौजूद होते हैं। जब ये तारे धरती के वातावरण में घुसते हैं तो वह टूटते तारों जैसे दिखते हैं. अगर मौसम साफ रहा तो इस दौरान आपको एक घंटे में 50 से 100 तारों के टूटने को देखा जा सकता है.
नैनीताल से कर पाएंगे दीदार
इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए आपको एकदम साफ आसमान यानी की डार्क स्काई चाहिए. जहां बिलकुल भी प्रदूषण न हो. इस कारण इसका दीदार आप नैनीताल की ऊंचाई वाले इलाकों से देख सकते हैं. इस घटना को आप पंगोट, मुक्तेश्वर और अन्य जगहों से भी देख सकते हैं.
भारत में कब देख सकते हैं सितारों की बारिश
जनता इस अद्भुत दृश्य को अपनी आंखों से देखने के लिए बेताब है. तो यदि आप भारत में रहते हैं और आप भी इस दृश्य का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो इसे देखने का सही समय आधी रात के बाद से सूरज निकलने से पहले तक का है. क्योंकि इस समय मिथुन तारामंडल पूर्वी आकाश में ऊपर उठता है. बता दें ऐसा कहा जाता है कि हर साल इन उल्का बौछार तेज होती जा रही है. इन उल्काओं को पहली बार साल 1862 में मैनचेस्टर, इंग्लैंड में देखा गया था.