उत्तराखंड में हिमालयी भालू और तेंदुओं का बढ़ता खौफ, वन विभाग ने छात्रों के सुरक्षा के लिए किए ये इंतजाम

उत्तराखंड में हिमालयी भालू और तेंदुओं के हमलों में तेजी से बढ़ोतरी के बाद दहशत का माहौल है. 150 से ज्यादा हमलों में कई लोगों की मौत हुई है और कई घायल हुए हैं. बच्चों की सुरक्षा के लिए वन विभाग उन्हें स्कूल तक एस्कॉर्ट करेगा.

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Km Jaya

देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में इन दिनों इंसान और जानवरों के बीच संघर्ष तेजी से बढ़ रहा है. हाल ही में हिमालयी भालू और तेंदुओं के हमलों में बढ़ोतरी से जनता में डर का माहौल है. उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, टिहरी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर में पिछले कुछ हफ्तों में 150 से ज्यादा हमले दर्ज हुए हैं. कई घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं, जिनमें तेंदुए और हिमालयी भालू आबादी वाले क्षेत्रों के पास घूमते दिखाई दे रहे हैं.

वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार सितंबर से अब तक हिमालयी भालू के हमलों में पांच लोगों की मौत हुई है और 75 से अधिक लोग घायल हुए हैं. कई मामलों में पीड़ितों को गंभीर चेहरे की चोटें आई हैं. इसी समय में तेंदुओं के हमलों में नौ लोगों की जान गई है. गुरुवार को पौड़ी गढ़वाल में 45 वर्षीय व्यक्ति की मौत ने डर और बढ़ा दिया. 

कब खुलेंगे स्कूल?

इस घटना के बाद प्रशासन ने 48 सरकारी स्कूल बंद कर दिए, जिन्हें सोमवार को दोबारा खोला जाएगा. स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण बन गई है. पहाड़ी रास्तों पर रोजाना शिकारी जानवरों की मौजूदगी से बच्चे डरे हुए हैं. चमोली के कक्षा सात के छात्र हरी नेगी ने बताया कि स्कूल पहुंचना अब रोज का जोखिम बन गया है. उनकी बात से साफ है कि हालात बेहद चिंताजनक हैं. 

बच्चों के लिए क्यों जरूरी है वन एस्कॉर्ट?

इसी के चलते शिक्षा विभाग पहली बार वन विभाग के साथ मिलकर स्कूली बच्चों को एस्कॉर्ट सेवा देने जा रहा है. शुरुआत पौड़ी गढ़वाल के तेंदूआ प्रभावित क्षेत्र से सोमवार को की जाएगी. विभाग ने यह भी कहा है कि देहरादून स्थित सरकारी सुविधा से ऑनलाइन क्लास शुरू करने की तैयारी है. इस बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य सरकार पर राजनीतिक दबाव भी बढ़ गया है. 

कितना मिलेगा मुआवजा?

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मंजूरी के बाद मानव वन्यजीव संघर्ष में घायल होने वालों के लिए मुआवजा बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दिया गया है. यह मुद्दा संसद में भी उठा, जहां भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने लोकसभा में चिंता जताई और केंद्र से सहयोग मांगा. राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने प्रभावित परिवारों के लिए केंद्र से आर्थिक सहायता की मांग की.

मुख्य वन्यजीव वार्डन ने क्या बताया?

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजन मिश्रा ने अधिकारियों के साथ बैठक कर कई निर्देश जारी किए. उन्होंने होटलों पर कड़ा जुर्माना लगाने की चेतावनी दी जो भोजन का कचरा खुले में फेंकते हैं और जिनसे जंगली जानवर आकर्षित होते हैं. ग्रामीण इलाकों में लोगों को सीटी भी बांटी जा रही है ताकि खतरे की स्थिति में समय रहते चेतावनी दी जा सके.

कितनी है तेंदुए और भालु की संख्या?

उत्तराखंड में तेंदुओं की संख्या 2022 के सर्वे के अनुसार करीब 2900 है, लेकिन हिमालयी भालुओं की सटीक संख्या नहीं है. इस साल भालुओं का व्यवहार अधिक आक्रामक देखा गया है. सोशल मीडिया पर इस बात पर बहस भी जारी है कि क्या तेंदुओं और भालुओं की आबादी नियंत्रण के लिए नसबंदी की जा सकती है. 

महाराष्ट्र के जुन्नर क्षेत्र में शुरू हुई तेंदुआ नसबंदी परियोजना पर भी नजर है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक का कहना है कि यह परियोजना फिलहाल प्रयोगात्मक है और आने वाले समय में इसके परिणाम स्पष्ट होंगे.