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योगी सरकार का किसानों को दिवाली गिफ्ट, धान और मोटे अनाज की MSP में की बढ़ोतरी

उत्तर प्रदेश सरकार ने धान और मोटे अनाज के किसानों को राहत देते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया है. इस बार धान, मक्का, बाजरा और ज्वार की खरीद पर किसानों को पहले से बेहतर दाम मिलेंगे.

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Kuldeep Sharma

लखनऊ में योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों को बड़ी सौगात दी है. शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में धान और मोटे अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी गई. सरकार का कहना है कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम दिलाना प्राथमिकता है और इस फैसले से राज्य के लाखों किसान सीधे लाभान्वित होंगे.

केंद्र सरकार द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए तय दरों के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने धान के एमएसपी में 69 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है. अब सामान्य धान 2369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान 2389 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा जाएगा. बाजरा का एमएसपी 2775 रुपये, मक्का का 2400 रुपये और ज्वार (हाइब्रिड) का 3699 रुपये तथा ज्वार (मालदांडी) का 3749 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.

खरीद केंद्रों और लक्ष्य पर जोर

इस सीजन में सरकार ने 60 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए 3300 क्रय केंद्र पहले ही खोले जा चुके हैं और 700 अतिरिक्त केंद्र खोलने की तैयारी है. बाजरा के लिए 300, ज्वार के लिए 80 और मक्का के लिए 75 केंद्र खोले जाएंगे. नमी मापक यंत्र, जीपीएस युक्त वाहनों और ई-उपार्जन पोर्टल से पूरी खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की योजना है.

किसानों को सीधा फायदा और भुगतान व्यवस्था

सरकार ने यह भी तय किया है कि किसानों से खरीदी गई उपज का भुगतान 48 घंटे के भीतर सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा. इसके लिए भारत सरकार के पीएफएमएस पोर्टल का इस्तेमाल होगा. खरीद प्रक्रिया को आधार और बायोमेट्रिक सत्यापन से जोड़ा गया है ताकि कोई गड़बड़ी न हो सके. साथ ही, मिलर्स को समय पर चावल जमा कराने पर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी.

सहकारी संस्थाओं को वित्तीय गारंटी

धान खरीद के लिए बड़ी राशि की जरूरत होगी. इसके लिए उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) और कोआपरेटिव यूनियन (पीसीयू) को नाबार्ड से ऋण लेने की गारंटी सरकार ने दी है. पीसीएफ 4000 करोड़ रुपये और पीसीयू 1500 करोड़ रुपये का अल्पकालिक ऋण लेंगे. ब्याज की प्रतिपूर्ति अधिकतम 60 दिन तक की जाएगी ताकि संस्थाओं पर अतिरिक्त बोझ न पड़े.