उत्तर प्रदेश में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तारीख शुक्रवार को खत्म हो गई. इसके साथ ही यह लगभग तय हो गया है कि प्रदेश के 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे. ये वे नाम हैं, जो अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत या डुप्लीकेट श्रेणी में पाए गए हैं.
प्रदेश में कुल 15.44 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं. इनमें से 2.89 करोड़ नाम कटने का मतलब है कि लगभग 18.70 प्रतिशत मतदाता सूची में बदलाव होगा. यह आंकड़ा चुनावी तैयारियों के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है.
जिन जिलों में सबसे अधिक मतदाताओं के नाम हटने की संभावना है, उनमें लखनऊ, गाजियाबाद, प्रयागराज, कानपुर, आगरा और बरेली प्रमुख हैं. इन शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में स्थानांतरण और डुप्लीकेट प्रविष्टियों की संख्या ज्यादा पाई गई है.
मतदाता सूची में दर्ज करीब 1.11 करोड़ लोगों का रिकॉर्ड नहीं मिल पाया है. न तो इनके नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में दर्ज हैं और न ही इनके माता-पिता या दादा-दादी के नाम मिले हैं. यह कुल मतदाताओं का लगभग सात प्रतिशत हिस्सा है. ड्राफ्ट मतदाता सूची के बाद ऐसे मतदाताओं को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) की ओर से नोटिस भेजे जाएंगे.
इन मतदाताओं को चुनाव आयोग द्वारा मान्य 12 प्रमाण पत्रों में से कोई एक देना होगा. आधार कार्ड अकेले मान्य नहीं होगा, उसके साथ एक और वैध दस्तावेज लगाना अनिवार्य होगा.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि 31 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी. इसके बाद 31 दिसंबर से 30 जनवरी तक दावे और आपत्तियां ली जाएंगी. जिन मतदाताओं का रिकॉर्ड नहीं मिला है, उन्हें 31 दिसंबर से 21 फरवरी तक नोटिस दिए जाएंगे. सभी मामलों के निस्तारण के बाद अंतिम मतदाता सूची 28 फरवरी को जारी की जाएगी.
जिनका नाम 2025 की मतदाता सूची में नहीं है, वे फार्म-6 भरकर मतदाता बन सकते हैं. इसके अलावा, 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवा भी इस प्रक्रिया के जरिए वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं.