Amir Khan Muttaqi Deoband Visit: आज देवबंद पहुंचेंगे तालिबान के विदेश मंत्री, 15 उलेमा करेंगे अफगानी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत
Amir Khan Muttaqi Deoband Visit: तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्तकी आज देवबंद स्थित दारुल उलूम का दौरा करेंगे. इस दौरान 15 उलेमा उनका स्वागत करेंगे और तलबा को संबोधित किया जाएगा. अफगानिस्तान के बादशाह जहीर शाह द्वारा निर्मित 'बाब-ए-जहीर गेट' से होकर वे नवनिर्मित लाइब्रेरी तक पहुंचेंगे.
Amir Khan Muttaqi Deoband Visit: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्तकी आज शनिवार को भारत के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम देवबंद पहुंचेंगे. यह दौरा दोनों देशों के बीच धार्मिक और शैक्षिक संबंधों को मजबूत करने के लिहाज से अहम माना जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, दारुल उलूम प्रशासन ने 15 वरिष्ठ उलेमा की एक विशेष टीम बनाई है जो अफगानी प्रतिनिधिमंडल की अगवानी करेगा.
मौलाना अमीर खान मुत्तकी इन दिनों भारत के दौरे पर हैं और वह गुरुवार को दिल्ली पहुंचे थे. वहां उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी. इस दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य और वीजा विस्तार जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद अफगान छात्रों के लिए भारत में इस्लामिक शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अध्ययन के नए अवसर खुल सकते हैं.
संस्था के छात्रों को करेंगे संबोधित
दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने शुक्रवार को 15 उलेमा की सूची जारी की थी. यह सभी उलेमा अफगान प्रतिनिधिमंडल की अगवानी करेंगे और उनसे औपचारिक चर्चा करेंगे. इस दौरान अफगानी विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्तकी संस्था के तलबा यानी छात्रों को नवनिर्मित लाइब्रेरी के हॉल में संबोधित करेंगे.
दारुल उलूम देवबंद और अफगानिस्तान के संबंध
दारुल उलूम देवबंद और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक संबंध लंबे समय से रहे हैं. संस्था में आज भी अफगानिस्तान के अंतिम बादशाह मोहम्मद जहीर शाह के नाम पर 'बाब-ए-जहीर गेट' मौजूद है. बताया जाता है कि 25 फरवरी 1958 को जब जहीर शाह देवबंद पहुंचे थे, तब उन्होंने कुरआन पढ़ने वाले बच्चों के लिए 25 फीट ऊंचे इस गेट का निर्माण कराया था. गेट के दोनों ओर आठ कमरे बनाए गए थे, जिनमें छात्र कुरआन की तालीम हासिल कर सकें.
पुराने निर्माण को हटाने की हुई थी चर्चा
वर्ष 2006 में इस पुराने निर्माण को हटाने की चर्चा हुई थी, लेकिन उस समय पदच्युत हो चुके जहीर शाह ने इसकी अनुमति नहीं दी थी. 23 जुलाई 2007 को उनके निधन के बाद भी इस गेट को संरक्षित रखा गया है और आज भी यह उनके नाम से ही जाना जाता है. मौलाना अमीर खान मुत्तकी इसी ऐतिहासिक 'बाब-ए-जहीर गेट' से होकर नवनिर्मित लाइब्रेरी पहुंचेंगे, जहां वह दारुल उलूम के छात्रों को संबोधित करेंगे.