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अखिलेश यादव का प्लान 2027 तैयार, सिर्फ 1 जिला छोड़ सपा के सारे जिलाध्यक्ष को हटाया गया, कार्यकारिणी भी भंग

पिछले साल मई में श्याम लाल पाल को सपा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जिसके बाद इस बदलाव की दिशा में पहला कदम उठाया गया था. इसके बाद दिसंबर में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस संबंध में एक बैठक बुलाई थी.

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2026 के पंचायत चुनावों और 2027 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में कुशीनगर को छोड़कर अपनी सभी जिला स्तरीय समितियों को भंग कर दिया है. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के आदेश पर उठाया गया यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब महीनों से अटकलें लगाई जा रही थीं कि पार्टी पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) फॉर्मूले पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी जिला समितियों का पुनर्गठन कर सकती है. समाजवादी पार्टी की कुशीनगर इकाई का नेतृत्व पूर्व एमएलसी राम अवध यादव कर रहे हैं, जिन्हें मोहम्मद शुकरुल्लाह अंसारी की मृत्यु के कारण पद रिक्त होने पर तीन महीने पहले नियुक्त किया गया था.

सपा के आधिकारिक हैंडल एक्स पर लिखा गया, 'समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने समाजवादी पार्टी के कुशीनगर जिले के जिला अध्यक्ष को छोड़कर शेष सभी जिला कार्यकारिणी, विधानसभा अध्यक्षों सहित विधान सभा कार्यकारिणी तथा अन्य फ्रंटल संगठनों के जिला अध्यक्षों सहित जिला कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है.'

सपा का पिछले चुनाव में प्रदर्शन 

मामले से वाकिफ एक व्यक्ति के मुताबिक, सपा प्रमुख पीडीए समुदायों से और लोगों को शामिल करने पर विचार कर रहे हैं. पीडीए फॉर्मूले ने 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए अच्छे नतीजे दिए और उत्तर प्रदेश की 80 में से 37 सीटें जीतीं. सूत्र ने दावा किया, 'संगठन में बदलाव संभवतः चार चरणों में किया जाएगा. हमने उन लोगों की भी पहचान कर ली है जिन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. साथ ही, खराब प्रदर्शन करने वालों को हटाया जाएगा और नए चेहरों को मौका दिया जाएगा.' पिछले साल मई में श्याम लाल पाल को सपा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जिसके बाद इस बदलाव की दिशा में पहला कदम उठाया गया था. इसके बाद दिसंबर में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस संबंध में एक बैठक बुलाई थी.

2027 में चुनावी दंगल 

जिला पंचायत चुनाव अगले साल और राज्य विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं. पीडीए का फार्मूला सपा की रणनीति का आधार बन गया है. नेतृत्व का मानना ​​है कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं को अहम जिम्मेदारी देकर पार्टी अपना जनाधार और मजबूत कर सकती है.

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