UP Nepal Border Alert: नेपाल में 'Gen Z' विरोध प्रदर्शन का असर, यूपी के सीमावर्ती शहरों में हाई अलर्ट जारी

Nepal Protest: यूपी पुलिस राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

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Reepu Kumari

UP Nepal Border Alert: नेपाल में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस प्रशासन को इस हिमालयी राष्ट्र से लगे सभी सात सीमावर्ती जिलों में हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है. यह कदम प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा भ्रष्टाचार और विवादास्पद सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवा प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व में कई दिनों तक चले हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा देने के बाद उठाया गया है.

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराईच, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज में चौबीसों घंटे निगरानी, ​​गश्त तेज करने और अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती का आदेश दिया.

नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों की मदद

नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों की सहायता के लिए लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में एक विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. एक व्हाट्सएप नंबर सहित तीन हेल्पलाइन नंबर 24x7 चालू रहेंगे – 0522-2390257, 0522-2724010, और 9454401674 (व्हाट्सएप नंबर 9454401674 पर भी उपलब्ध).

एडीजी (कानून व्यवस्था) अमिताभ यश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि , 'यूपी पुलिस राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.'

सतर्कता बढ़ा दी गई

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि भारत-नेपाल सीमा को सील तो नहीं किया गया है, लेकिन सतर्कता बढ़ा दी गई है. खुली सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने असामाजिक तत्वों की घुसपैठ रोकने के लिए गश्त तेज़ कर दी है. देवीपाटन मंडल के आयुक्त शशि लाल भूषण सुशील ने जिलाधिकारियों को पुलिस और एसएसबी अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने के निर्देश दिए हैं.

क्या है पूरा मामला?

नेपाल हाल के सालों के सबसे गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. सरकार द्वारा फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), और यूट्यूब सहित 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अचानक लगाए गए प्रतिबंध ने जनता, खासकर युवाओं में भारी आक्रोश पैदा किया. यह प्रतिबंध पंजीकरण और नियामक निगरानी लागू करने के उद्देश्य से था, लेकिन भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक पारदर्शिता की कमी से त्रस्त युवाओं ने इसे सरकार की दमनकारी नीति के रूप में देखा. इस जनरेशन Z आंदोलन ने सड़कों पर हिंसक प्रदर्शनों को जन्म दिया, जिसमें कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हुए. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और प्रमुख नेताओं के आवासों को निशाना बनाया. बिगड़ते हालात को देखते हुए नेपाल की सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा अभियानों का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है.