menu-icon
India Daily

दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक वोटों पर नजर; यूपी फतह के लिए कैसे रोडमैप तैयार कर रही कांग्रेस?

Congress Mission Uttar Pradesh: मिशन उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस ने रोडमैप तैयार करना शुरू कर दिया है. कहा जा रहा है कि यूपी कांग्रेस की दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक वोटों पर नजर है. इस वोट बैंक को एकजुट करने का यूपी कांग्रेस रोडमैप तैयार कर रही है. एससी-एसटी एक्ट के 25 साल पूरे होने के मौके पर कांग्रेस ने एक महीने का जागरूकता अभियान शुरू किया है, जो 11 सितंबर को समाप्त होगा.

India Daily Live
UP congress
Courtesy: social media

Congress Mission Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने शुक्रवार को एक महीने का स्पेशल कैंपेन शुरू किया है. इस कैंपेन के जरिए कांग्रेस पार्टी दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करना चाह रही है. कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि हम जाति जनगणना, वक्फ संशोधन विधेयक और यहां तक ​​कि एससी-एसटी कोटे के उप-वर्गीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जनता तक पहुंचेंगे. इन समुदायों ने लोकसभा चुनावों में हमारे लिए अपना समर्थन दिखाया है और इसलिए ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके मुद्दे भी उठाएं.

एक महीने के कार्यक्रम के दौरान पार्टी नेताओं को गांव स्तर पर लामबंद होने, पर्चे बांटने और संबंधित समुदायों के साथ चर्चा करने के लिए कहा गया है. पार्टी की ओबीसी, अल्पसंख्यक और मछुआरा शाखाएं जिला स्तर पर अभियान चलाएंगी, जबकि जाति जनगणना के लिए समर्थन जुटाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा. पार्टी ने राज्य में अपने पदाधिकारियों को ये भी निर्देश दिया है कि वे बुद्धिजीवियों और समुदायों में प्रमुख लोगों जैसे कि डॉक्टर, शिक्षक और अन्य पेशेवरों से जुड़ने का प्रयास करें.

यूपी कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के चीफ क्या बोले?

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख शाहनवाज आलम ने कहा कि ये एक जन जागरूकता अभियान होगा जो 11 सितंबर को अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की वर्षगांठ के अवसर पर समाप्त होगा, जिसे राजीव गांधी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था. हम वक्फ संशोधन विधेयक के बारे में भी जागरूकता पैदा करेंगे, जो सरकार को वक्फ भूमि के प्रॉपर्टी डीलर में बदल देगा; एससी-एसटी कोटा का उप-वर्गीकरण, जो अपने मूल उद्देश्य को धता बताएगा, जाति जनगणना की मांग करेगा और न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ अपनी आवाज उठाएगा.

वक्फ बिल पर आलम ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक को समझना और आम लोगों को समझाना भी उतना ही जरूरी है. रेलवे के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा जमीन है, जिसे मुसलमानों ने समुदाय की बेहतरी के लिए दान किया था. अब सरकार इन संपत्तियों की डीलर बनना चाहती है. आलम ने कहा कि 'क्रीमी लेयर' अवधारणा को एससी-एसटी कोटा पर लागू नहीं किया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एससी-एसटी अधिनियम को भी ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है और ज्यादातर मामलों में स्थानीय स्तर पर ही मामले सुलझाए जा रहे हैं. यही कारण है कि 11 सितंबर को अभियान के समापन की तारीख के रूप में चुना गया है ताकि हम इस बात पर प्रकाश डाल सकें कि एससी-एसटी अधिनियम के तहत मामलों को कैसे हतोत्साहित किया जा रहा है.

आखिर क्यों दलित और ओबीसी तक पहुंचने की कोशिश कर रही कांग्रेस?

दलितों और ओबीसी तक कांग्रेस की पहुंच ऐसे समय में हुई है जब इन समुदायों का भाजपा के लिए समर्थन का एक बड़ा हिस्सा विपक्षी भारत गठबंधन की ओर शिफ्ट हो गया है. लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा के शुरुआती आकलन से संकेत मिला था कि बसपा के मूल जाटव वोटों का अनुमानित 6% उनके 'संविधान बचाओ' अभियान के बाद सपा और कांग्रेस में शिफ्ट हो गया, जिसमें भाजपा द्वारा बड़े जनादेश के साथ सत्ता में लौटने पर संविधान और आरक्षण के लिए खतरा पैदा करने की चेतावनी दी गई थी.

भाजपा ने 2019 में यूपी की 17 एससी-आरक्षित लोकसभा सीटों में से 14 पर जीत हासिल की थी, इस बार इसकी संख्या घटकर 8 हो गई. सपा ने 7 में से 7 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की, जबकि एक-एक कांग्रेस और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने जीती.

संसदीय चुनाव के नतीजों से ये भी पता चला कि निषाद, कुर्मी (पटेल, गंगवार, निरंजन, वर्मा), राजभर, प्रजापति, कुम्हार, लोनिया, सैंथवार, नौस और जाट जैसी ओबीसी उपजातियों ने इंडिया गठबंधन का समर्थन किया. ये उपजातियां उत्तर प्रदेश में 40 से अधिक लोकसभा सीटों पर हावी हैं और इन्हें पहले एनडीए समर्थकों में गिना जाता था.