सिस्टम में नहीं हुई सुनवाई, महिला किसान ने SDM की गाड़ी पर दे मारा पत्थर; हैरान कर देने वाली है भारती देवी की कहानी

भारती देवी अपने पति बृजभूषण के साथ जमीन से जुड़े विवाद को लेकर पिछले कई महीनों से तहसील के चक्कर काट रही थीं.

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Sagar Bhardwaj

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के मौरानीपुर तहसील क्षेत्र के गांव विजयवारा की रहने वाली महिला किसान भारती देवी की कहानी प्रशासनिक सिस्टम की सच्चाई को सामने लाती है. भारती देवी अपने पति बृजभूषण के साथ जमीन से जुड़े विवाद को लेकर पिछले कई महीनों से तहसील के चक्कर काट रही थीं. उनका कहना है कि अब तक करीब 20 बार आवेदन और फरियाद के बावजूद उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला, कोई ठोस फैसला नहीं हुआ.

सोमवार को टूटा सब्र

सोमवार को भारती देवी एक बार फिर अपनी फाइल पर आदेश की उम्मीद लेकर तहसील पहुंचीं. घंटों इंतजार के बाद भी जब उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो उनका गुस्सा और निराशा बढ़ती चली गई. भारती का आरोप है कि अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे, जबकि मामला काफी समय से लंबित था.

SDM की गाड़ी के सामने खड़ी हुई किसान

जब SDM की गाड़ी तहसील परिसर से निकलने लगी, तो भारती देवी आखिरी उम्मीद लेकर गाड़ी के सामने खड़ी हो गईं. वह चाहती थीं कि अधिकारी उनकी बात सुन लें. इसी दौरान गाड़ी आगे बढ़ाने की कोशिश की गई, जिससे वह खुद को अपमानित और असहाय महसूस करने लगीं.

गुस्से में उठाया पत्थर

इसी भावनात्मक क्षण में भारती देवी ने पास पड़ी एक ईंट उठाकर सरकारी गाड़ी पर दे मारी. पत्थर लगते ही वाहन का शीशा टूट गया. यह घटना वहां मौजूद लोगों और कर्मचारियों के लिए चौंकाने वाली थी. कुछ ही पलों में माहौल तनावपूर्ण हो गया.

हिरासत में लिए गए पति-पत्नी

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और हालात को काबू में लिया. भारती देवी और उनके पति बृजभूषण को हिरासत में ले लिया गया. महिला का कहना है कि वह इस मामले को लेकर झांसी के कमिश्नर तक जा चुकी हैं, जहां से जांच और कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन तहसील स्तर पर कोई असर नहीं दिखा.

प्रशासन का पक्ष

प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार गांव विजयवारा में इस समय चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है, जिस वजह से मामला लंबा खिंच रहा है. वहीं, SDM के चालक की शिकायत पर सरकारी वाहन को नुकसान पहुंचाने के आरोप में दंपत्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

सवाल सिस्टम पर

यह घटना सिर्फ एक पत्थर फेंकने की नहीं, बल्कि उस हताशा की कहानी है, जो बार-बार न्याय न मिलने पर एक आम किसान के भीतर पनपती है.