बागपत: किशोरों के स्मार्टफोन और हाफ पैंट पर लगा बैन, पंचायत ने किया ये ऐलान

बागपत की खाप पंचायत ने किशोरों के लिए स्मार्टफोन और हाफ पैंट पर रोक लगाने का फैसला किया है. साथ ही शादियों को लेकर खर्च और आयोजन से जुड़ी सख्त गाइडलाइन जारी की गई हैं.

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Km Jaya

बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खाप पंचायत ने सामाजिक आचरण और पारंपरिक मूल्यों को लेकर एक सख्त फरमान जारी किया है. खाप पंचायत ने किशोरों के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया है. इसके साथ ही लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए हाफ पैंट पहनने पर भी पाबंदी लगाने की घोषणा की गई है.

खाप पंचायत का कहना है कि यह निर्णय पश्चिमी प्रभाव को रोकने और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए जरूरी है. पंचायत के अनुसार आधुनिक जीवनशैली के कारण बच्चों और किशोरों में अनुशासन की कमी देखी जा रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है.

क्या है नई गाइडलाइन?

पंचायत ने शादी समारोहों को लेकर भी नई गाइडलाइन जारी की है. निर्देशों के अनुसार अब विवाह समारोह केवल गांव या घर में ही आयोजित किए जाएंगे. मैरिज हॉल में शादियों की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा अतिथि सूची को सीमित रखने और शादी के खर्च को नियंत्रित करने पर जोर दिया गया है.

खाप पंचायत ने यह भी तय किया है कि शादी के निमंत्रण पत्र अब व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे जाएंगे. इससे अनावश्यक खर्च को कम करने की मंशा जताई गई है. पंचायत का मानना है कि इससे दिखावे की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी.

क्यों लगाया गया प्रतिबंध?

किशोरों के लिए 18 से 20 वर्ष की उम्र तक स्मार्टफोन के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा. खाप नेताओं का कहना है कि इस उम्र में मोबाइल फोन बच्चों को गलत दिशा में ले जा सकता है. हाफ पैंट पहनने पर रोक को भी सामाजिक अनुशासन से जोड़ा गया है.

खाप सदस्य चौधरी ब्रजपाल सिंह ने कहा कि समाज का निर्णय सर्वोपरि होता है. उन्होंने कहा कि बच्चों को परिवार और बुजुर्गों के साथ समय बिताना चाहिए. उनका मानना है कि मोबाइल से दूरी बच्चों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाएगी.

चौधरी ओमपाल सिंह ने क्या कहा?

दगड़ खाप के चौधरी ओमपाल सिंह ने कहा कि लड़कियों को मोबाइल देने से गलत आदतें पड़ सकती हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि यही नियम लड़कों पर भी समान रूप से लागू होगा. फोन केवल घर में ही रखने की सलाह दी गई है. 

स्थानीय निवासी नरेश पाल ने कहा कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है.उन्होंने इसे समय की जरूरत बताया. पंचायत ने इस फैसले को पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने के लिए अभियान चलाने का भी ऐलान किया है.