menu-icon
India Daily

100 साल की बुजुर्ग के साथ किया था रेप, अब इलाहाबाद HC ने बाइज्जत कर दिया बरी, जानें क्यों?

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सात साल पहले 100 वर्षीय वृद्धा के साथ रेप मामले में निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है. अदालत ने गवाहों और तथ्यों के अभाव में अभियुक्त को बाइज्जत बरी कर दिया है. यह घटना अक्टूबर 2017 की बताई गई है.

India Daily Live
Edited By: India Daily Live
Allahabad high court
Courtesy: Social Media

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सात साल पहले 100 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार और हत्या के प्रयास के दोषी व्यक्ति को बरी कर दिया है . हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा उम्रकैद के फैसले को पलट दिया है.  कोर्ट ने यह फैसला गवाहों की कमी और मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या की पुष्टि न होने पर सुनाया है. यह घटना 29 अक्टूबर, 2017 को मेरठ में हुई थी. 

अपराध के समय 24 साल के अंकित पुनिया को 20 नवंबर, 2020 को एक विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों में जबरन घर में घुसना, बलात्कार का प्रयास और हत्या शामिल है, अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि महिला, जो विरोध करने में बहुत कमज़ोर थी. उस पर हमला किया गया था और बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी. आरोपी के खिलाफ एससी /एसटी एक्ट सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

वादी ने झूठे आरोप गढ़े

जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और गौतम चौधरी ने पुनिया की अपील पर सुनवाई की, जिसमें तर्क दिया गया कि मामला मनगढ़ंत है.  पुनिया के वकील अरुण देशवाल ने कोर्ट  को बताया कि महिला के पोते ने ऋण चुकाने से बचने और सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए पुनिया को झूठा फंसाया था.  देशवाल ने तर्क दिया, वादी ने अपने बयानों में स्वीकार किया है कि वह घटना के समय अपनी पत्नी के साथ गाजियाबाद में रह रहा था. वह प्रत्यक्षदर्शी नहीं हो सकता इस वजह से उसके बयानों पर यकीन नहीं किया जा सकता.  पुनिया के वकील ने कहा कि अन्य गवाहों ने भी घटना को अपनी आंखों से नहीं देखा.  यहां तक ​​कि पड़ोसी भी घटना की पुष्टि करने में विफल रहे हैं. 

सभी आरोपों से बरी किया 

वकील ने अदालत को बताया कि फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में भी खून का कोई मिलान नहीं पाया गया, न ही कपड़ों पर शुक्राणु या वीर्य पाया गया. पीड़िता बीमार थी और सेप्टीसीमिया के कारण उसकी मौत हो गई. दलीलों और सबूतों की समीक्षा करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया कि गवाहों के बयान अविश्वसनीय थे और मेडिकल रिपोर्ट बलात्कार या हत्या के आरोपों की पुष्टि नहीं करती थी. हाई कोर्ट ने इसके बाद निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और पुनिया को सभी आरोपों से बरी कर दिया.