Akhilesh Yadav and Raja Bhaiya: कुंडा के विधायक और जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का समाजवादी पार्टी (सपा) और अखिलेश यादव के प्रति झुकाव अब साफ दिखाई दे रहा है. हाल ही में हुए घटनाक्रम से यह संकेत मिल रहा है कि राजा भैया और सपा के बीच की दूरी कम हो रही है. इसी सिलसिले में राजा भैया ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव और मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दाखिल किए गए मुकदमे को वापस लेने के लिए अदालत में पहल की है. सोमवार को, राजा भैया ने अपने वकीलों के माध्यम से कोर्ट में मुकदमा वापस लेने का अभिलेख प्रस्तुत किया, जिसमें खुद राजा भैया भी उपस्थित थे.
यह मामला तब का है जब विधानसभा चुनाव के दौरान इंद्रजीत सरोज ने राजा भैया पर व्यक्तिगत बयानबाजी की थी, जिससे आहत होकर राजा भैया ने उनके खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया था. कुछ महीने पहले इस मामले में सुनवाई के लिए इंद्रजीत सरोज की गैरमौजूदगी पर उन्हें कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश मिला था. लेकिन अब अचानक राजा भैया ने इस मामले को वापस लेने का फैसला किया है और इस संबंध में आवश्यक दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किए.
गौरतलब है कि इससे पहले हुए लोकसभा चुनाव में भी राजा भैया की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इंद्रजीत सरोज के बेटे और कौशाम्बी से सांसद पुष्पेंद्र सरोज के पक्ष में जनसंपर्क किया था. हालांकि उस समय राजा भैया ने सीधे सपा के समर्थन में कोई खुलासा नहीं किया था, लेकिन उनके इस रुख ने भाजपा को चुनौती दी थी. चुनावी नतीजों ने भी दिखाया कि भाजपा के लिए राजा भैया का यह कदम असहज था.
अब कोर्ट में मुकदमा वापस लेने की कार्रवाई से यह संकेत मिलता है कि राजा भैया और सपा के बीच रिश्तों में नजदीकी बढ़ रही है. राजाभैया के कानूनी सलाहकार हनुमान प्रसाद पांडेय ने बताया कि मंझनपुर विधायक इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दर्ज किया गया परिवाद वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सोमवार को वादी पक्ष की ओर से न्यायालय में दस्तावेज पेश कर दिए गए. इस दौरान कोर्ट रूम में राजा भैया के साथ उनके विधिक सलाहकार वैभव पांडेय, राजकुमार सिंह और रूरल बार के प्रदेश अध्यक्ष मुक्कू ओझा भी मौजूद थे.
राजा भैया द्वारा उठाए गए इस कदम से आगामी उपचुनावों से पहले राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.