गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे बाल तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो नवजात बच्चों को उनके त्वचा के रंग और लिंग के आधार पर निःसंतान दंपतियों को बेचता था. पुलिस ने इस मामले में चार लोगों-नावेद अंसारी (19), अफसर (28), स्वाति उर्फ शाइस्ता (35) और संध्या चौहान (37)-को गिरफ्तार किया है. संध्या मुजफ्फरनगर में सुभारती मैरिज ब्यूरो चलाती थी, जबकि स्वाति का मैरिज ब्यूरो शामली में था.
पुलिस के अनुसार, गिरोह गोरी त्वचा वाले नवजात शिशुओं के लिए 5 लाख रुपये तक वसूलता था. बाकी बच्चों की कीमत 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये के बीच तय होती थी. संदेह है कि इस रैकेट ने पिछले तीन साल में 10 से ज्यादा बच्चों की तस्करी की है. गुरुवार को लोनी में एक घर से एक साल के बच्चे को छुड़ाए जाने के बाद यह मामला उजागर हुआ.
जांच की शुरुआत तब हुई जब ट्रोनिका सिटी के रहने वाले राशिद ने अपने बेटे के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई. सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस ने संदिग्ध व्यक्ति की पहचान की और लोनी स्थित घर में छापा मारकर बच्चे को बरामद किया. पता चला कि मुरादाबाद का एक जोड़ा इस बच्चे को 2.5 लाख में लेने वाला था, लेकिन सौदा रद्द होने पर अमरोहा के एक जोड़े से 1.5 लाख में बात पक्की की गई थी.
इस नेटवर्क में मुरादाबाद की नर्स रंजना उर्फ रीता और आशा कार्यकर्ता दीपक सिंह की भी संलिप्तता सामने आई है. शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि रीता ढाई साल से गिरोह में सक्रिय थी और गरीब व अनचाहे गर्भ से पैदा हुए बच्चों को “मृत” बताकर गिरोह के हवाले कर देती थी.
गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, बिजनौर, मुरादाबाद, रुड़की, अमरोहा के अलावा जम्मू-कश्मीर और नेपाल तक फैला था. बच्चे के लिंग और रंग-रूप के आधार पर मैरिज ब्यूरो संचालिकाएं स्वाति और संध्या निःसंतान दंपतियों को फोटो भेजतीं और सौदे तय करतीं.
पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल से कई आपत्तिजनक चैट बरामद की हैं, जिनमें बच्चों की बिक्री और कीमत पर चर्चा दर्ज है. फिलहाल ट्रोनिका सिटी थाने में बीएनएस की धारा 143(4) (तस्करी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और पुलिस अन्य धाराएं जोड़ने पर विचार कर रही है.