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India Daily

इंद्रदेव को रिझाने के लिए महिलाओं का अनोखा टोटका, दुकानों के आगे फोड़ी गंदे पानी की मटकियां, कहां जीवंत हुई ये सदियों पुरानी परंपरा?

उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत और अनूठी परंपराओं के लिए हमेशा चर्चा में रहता है. इस बार यह शहर एक बार फिर अपनी सदियों पुरानी परंपरा के कारण सुर्खियों में है.

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Edited By: Garima Singh
Matki Breaking Ritual
Courtesy: x

Matki Breaking Ritual: उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत और अनूठी परंपराओं के लिए हमेशा चर्चा में रहता है. इस बार यह शहर एक बार फिर अपनी सदियों पुरानी परंपरा के कारण सुर्खियों में है. मानसून के मौसम में, जब पूरे भारत में बारिश अपनी रंगत दिखा रही है, उदयपुर अभी भी पर्याप्त बारिश के इंतजार में है. शहर की मशहूर झीलें जैसे फतहसागर और रंगसागर भले ही भर चुकी हों, लेकिन कई इलाकों में बारिश की कमी ने स्थानीय लोगों को परेशान कर दिया है.इस कमी को दूर करने के लिए उदयपुर की महिलाओं ने एक अनोखी परंपरा को जीवित रखते हुए इंद्रदेव को रिझाने का प्रयास किया.

भोइवाड़ा की राजमाली समाज की महिलाओं ने गणगौर घाट पर इंद्रदेव की विशेष पूजा की और गंदे पानी से भरी मटकियां शहर के बाजारों में दुकानों के सामने फोड़ीं. यह अनोखी और सनसनीखेज परंपरा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. लोग इसे मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल हिस्सा मान रहे हैं. माना जाता है कि जब बारिश नहीं होती, तो इंद्रदेव को "नाराज़" करने के लिए यह टोटका किया जाता है. इस परंपरा के तहत महिलाएं गंदे पानी से भरी मटकियां लेकर बाजारों में निकलती हैं और दुकानों के बाहर उन्हें फोड़ती हैं. ऐसा माना जाता है कि इससे दुकानदारों की गालियां इंद्रदेव तक पहुंचती हैं, जिससे क्रोध में आकर इंद्रदेव बारिश करते हैं.

गणगौर घाट से शुरू हुआ अनुष्ठान

इस टोटके की शुरुआत गणगौर घाट पर हुई, जहां भोइवाड़ा की राजमाली समाज की महिलाएं एकत्र हुईं. उन्होंने पूजा-अर्चना की, घुघरी (पारंपरिक प्रसाद) का भोग लगाया, और झील से गंदा पानी मटकियों में भरा. इसके बाद, पारंपरिक गीत गाते हुए वे जगदीश चौक की ओर रवाना हुईं. 

दुकानदारों को भड़काने का अनोखा मकसद

जगदीश चौक में जगदीश मंदिर के सामने मटकियां फोड़ने के बाद, महिलाएं घंटाघर, बड़ाबाजार, मोचीवाड़ा और अंदरूनी बाजार की ओर बढ़ीं. इस दौरान वे पारंपरिक गीत गाती रहीं और दुकानों के सामने मटकियां फोड़ती रहीं. कई दुकानदारों को इस परंपरा की पहले से जानकारी थी, और कुछ ने महिलाओं को आते देख अपनी दुकानें बंद कर दीं. कुछ दुकानदारों ने हल्की नाराज़गी भी दिखाई, जो इस टोटके का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. यह नाराज़गी ही इंद्रदेव को बारिश बरसाने के लिए प्रेरित करती है, ऐसा स्थानीय मान्यता है.