सैल्यूट टू सीनियर्स! मान सरकार के अभियान 'साड्डे बुजुर्ग साड्डा मान' से पंजाब के 22 लाख बुजुर्गों को मिला मुफ्त इलाज और सम्मान

मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने पंजाब के बुजुर्गों के लिए एक मिसाल कायम की है. ‘साड्डे बुजुर्ग साड्डा मान’ अभियान के तहत राज्य के 22 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को न सिर्फ मुफ्त इलाज मिला, बल्कि उन्हें वह सम्मान भी लौटा जो समाज की व्यस्त रफ्तार में कहीं खो गया था.

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Kuldeep Sharma

Punjab News: सेवा, संस्कार और सम्मान की भूमि के रूप में पहचाने जाने वाला पंजाब अब अपने बुजुर्गों के लिए एक नई कहानी लिख रहा है. मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में शुरू किया गया अभियान ‘साड्डे बुजुर्ग साड्डा मान’ (हमारे बुजुर्ग, हमारा सम्मान) राज्य के हर उस चेहरे पर मुस्कान लौटा रहा है, जिसने जीवन भर दूसरों के लिए काम किया, लेकिन बुढ़ापे में अकेलापन और उपेक्षा झेली.  यह केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक जागृति है- जहां सरकार परिवार की भूमिका निभा रही है.

आधुनिकता की दौड़ में जहां परिवारों के बीच दूरी बढ़ती जा रही है, वहीं भगवंत मान सरकार ने बुजुर्गों की अनकही तकलीफों को आवाज दी है. इस अभियान की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस (3 अक्टूबर 2023) को हुई थी. सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने लॉन्च के दौरान कहा था कि यह पहल केवल चिकित्सा सुविधा नहीं, बल्कि बुजुर्गों के जीवन में सम्मान लौटाने का प्रयास है.

बीमारियों का किया जा रहा इलाज

राज्य के सभी जिलों में हेल्थ कैंप आयोजित किए जा रहे हैं, जहां उम्र से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है. इन शिविरों में ENT जांच, आंखों की जांच, फ्री चश्मा वितरण और फ्री सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. पंजाब के 22 जिलों—जिनमें लुधियाना, बठिंडा, जालंधर, अमृतसर, पटियाला, रूपनगर, फिरोजपुर और मोगा जैसे जिले शामिल हैं- में ये शिविर लोगों के बीच नई उम्मीद जगा रहे हैं.

पेंशन योजना से आर्थिक सहारा

इस योजना का एक और मजबूत स्तंभ है- वृद्धावस्था पेंशन स्कीम, जिसके तहत 22 लाख वरिष्ठ नागरिकों को ₹1,500 प्रति माह प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से दिया जा रहा है. अब तक सरकार ने ₹2055.05 करोड़ की राशि जारी की है, जिससे 23.09 लाख बुजुर्गों को लाभ पहुंचा है.

यह राशि किसी सहायता मात्र नहीं, बल्कि बुजुर्गों के आत्मसम्मान की गारंटी है. एक किसान की तरह जिसने अपने खेत में बीज बोए, अब सरकार उसका सहारा बनकर खड़ी है, ताकि उसकी आख़िरी उम्र भी सुकून और गरिमा से गुज़रे. चालू वित्त वर्ष के लिए राज्य सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन हेतु ₹4100 करोड़ का बजट निर्धारित किया है.

स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों पर फोकस

सिर्फ इलाज ही नहीं, सरकार ने बुजुर्गों की सुरक्षा और समस्याओं के समाधान के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14567 भी जारी किया है. इस नंबर पर राज्य के किसी भी बुजुर्ग की परेशानी सीधे सुनी जाती है और ज़रूरत पड़ने पर त्वरित सहायता पहुंचाई जाती है.

यह हेल्पलाइन पंजाब सरकार की उस सोच को दर्शाती है कि बुजुर्ग सिर्फ कल के नहीं, आज के भी नागरिक हैं—और उन्हें किसी भी रूप में उपेक्षित नहीं किया जा सकता. इस कदम ने न केवल सरकारी प्रणाली को मानवीय बनाया है, बल्कि समाज को भी जागरूक किया है.

‘साड्डे बुजुर्ग साड्डा मान’

‘साड्डे बुजुर्ग साड्डा मान’ केवल सरकारी कागजों में दर्ज एक स्कीम नहीं, बल्कि पंजाब की आत्मा से जुड़ा एक भावनात्मक अभियान है. जब एक बुजुर्ग नई ऐनक लगाकर अपने पोते को साफ-साफ देखता है, या जब वह अपनी दवाइयाँ खुद जाकर लेता है- तो यह सिर्फ सुविधा नहीं, आत्मगौरव की वापसी है.

यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जिस समाज में बुजुर्गों का सम्मान होता है, वह समाज कभी कमजोर नहीं पड़ता. पंजाब की यह योजना अब पूरे देश के लिए एक आदर्श बनती जा रही है—जहाँ सरकार ‘नीति’ से पहले ‘संवेदना’ को प्राथमिकता देती है. मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह कदम न केवल नीति-निर्माण की परिभाषा बदल रहा है, बल्कि यह दिखा रहा है कि बुजुर्गों की सेवा ही समाज की असली तरक्की है.

सम्मान लौटाने की नई मिसाल

यह अभियान पंजाब की उस परंपरा को नया जीवन दे रहा है, जहाँ बुजुर्गों को घर का नहीं, संस्कृति का स्तंभ माना जाता था. यह मानवीय दृष्टिकोण वाली नीति बताती है कि विकास केवल इमारतों से नहीं, बल्कि उन चेहरों की मुस्कान से मापा जाना चाहिए, जिन्होंने जीवनभर दूसरों के लिए रास्ते बनाए.‘साड्डे बुजुर्ग साड्डा मान’ दरअसल पंजाब के उस हृदय की कहानी है जो आज भी सेवा और सम्मान से धड़कता है.