शादी का वादा कर बनाए शारीरिक संबंध, अब दलित बताकर मुकरा कॉन्सटेबल, कोर्ट ने दिया झटका
कर्नाटक में एक महिला पुलिसकर्मी ने सहकर्मी कॉन्सटेबल पर शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाने और बाद में उसकी जाति का हवाला देकर शादी से इनकार करने का आरोप लगाया. मामला दर्ज होने के बाद आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका हाई कोर्ट ने SC/ST एक्ट लागू होने के चलते खारिज कर दी.
बेंगलुरु: कर्नाटक में एक महिला पुलिसकर्मी ने अपने ही विभाग में कार्यरत एक पुरुष कॉन्सटेबल पर शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का गंभीर आरोप लगाया है. महिला का कहना है कि आरोपी कॉन्सटेबल ने उसे भरोसा दिलाया कि वह उससे शादी करेगा. शिकायत में यह भी कहा गया है कि आरोपी ने साईं बाबा की तस्वीर के सामने गुप्त तरीके से उससे विवाह जैसा संस्कार करवाया और इस आधार पर उससे संबंध बनाए.
महिला पुलिसकर्मी का आरोप है कि लंबे समय तक संबंध रखने के बाद आरोपी ने अचानक उसे पत्नी मानने से इनकार कर दिया. कारण बताते हुए उसने कहा कि वह दलित समुदाय से आती है, इसलिए वह उससे शादी नहीं कर सकता. इस बात से आहत होकर महिला ने पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई.
मामला दर्ज होने के बाद आरोपी कॉन्सटेबल भगवंतराया बसंतराया बीरादर ने खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की. लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस एस. राचौया की पीठ ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया.
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
पीठ ने कहा कि महिला की शिकायत में साफ तौर पर उल्लेख है कि आरोपी ने उसकी जाति के आधार पर उसे पत्नी मानने से इनकार किया है. यह कृत्य सीधे-सीधे एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के दायरे में आता है. ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत पर रोक लागू होती है. इसलिए अदालत आरोपी को किसी प्रकार की राहत नहीं दे सकती.
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट के अनुसार दोनों पुलिसकर्मी एक ही जगह पर तैनात थे, जिसके कारण उनके बीच नजदीकी बढ़ी. महिला के मुताबिक आरोपी ने उसे विश्वास दिलाया कि वह जल्द ही उनसे शादी की सार्वजनिक घोषणा करेगा. इस भरोसे पर उसने उसके साथ कई बार संबंध बनाए.
लेकिन जब महिला ने शादी के लिए दबाव डाला, तो आरोपी ने उसे जाति के आधार पर ठुकरा दिया. महिला के अनुसार आरोपी ने न केवल शादी से इनकार किया बल्कि विरोध करने पर उसके साथ मारपीट भी की. इसके बाद उसने थाने जाकर शिकायत दर्ज कराई.
आरोपी ने पहले तूमकूरू सेशंस कोर्ट में जमानत मांगी, लेकिन वहां भी उसकी याचिका खारिज हो गई. इसके बाद उसने हाई कोर्ट का रुख किया.
आरोपी का पक्ष
आरोपी के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि यह एक झूठा आरोप है और शिकायतकर्ता ने बदले की भावना से केस दर्ज कराया है. उनका कहना था कि शादी का प्रस्ताव महिला ने रखा था, जिसे बीरादर ने ठुकराया, इसी नाराजगी में उसने मामला दर्ज किया. हालांकि अदालत ने शिकायत में दर्ज तथ्यों और SC/ST एक्ट की धाराओं के आधार पर आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया.